For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज मन के भाव को,
प्रेम का शुभ संचार दो।
आज हृदय की पीर को,
आत्मा में विस्तार दो।।

मैं तुम्हारे गीत गाती
ही रहूँगी जन्म भर।
तुम्हारे प्रेम-दीवानी हो,
ये कहूँगी मृत्यु तक।।   

मुझे विरह में लीन रखो,
तुम चाहे तो आजीवन।
दो न अपने दर्शन मुझे,
तुम चाहे तो आमरण।।

सुनो,मैं तुम्हारी प्रेयसी,
औ मैं ही तुम्हारी प्रेरणा।
चैन कब आएगा तुमको,
इस जन्म में मेरे बिना।।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on June 29, 2014 at 8:50pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी और लक्ष्मण जी आप दोनों का अमूल्य प्रतिक्रिया हेतु धन्यवाद !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 27, 2014 at 11:18am

आ0 सावित्री जी इस भावविभोर करने वाली सुंदर प्रेममय रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें l

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2014 at 11:45pm

मुझे विरह में लीन रखो,
तुम चाहे तो आजीवन।
दो न अपने दर्शन मुझे,
तुम चाहे तो आमरण............बहुत सुंदर, मन को छू जाते भाव. बधाई स्वीकारें आदरणीया सावित्री जी

Comment by Savitri Rathore on June 26, 2014 at 7:37pm

आदरणीया आशा जी, अन्नपूर्णा जी और कनेरी जी,सादर नमस्कार ! आप सभी के उत्साहवर्धन हेतु मैं आभारी हूँ। स्नेह बनाये रखियेगा। 

Comment by Maheshwari Kaneri on June 25, 2014 at 5:58pm

आज मन के भाव को,
प्रेम का शुभ संचार दो। 
आज हृदबहुत सुंदर रचना , 
आत्मा में विस्तार दो।। .....बहुत सुंदर रचना , बधाई आपको आ0 सावित्री जी । 

Comment by annapurna bajpai on June 25, 2014 at 5:31pm

बहुत सुंदर रचना , बधाई आपको आ0 सावित्री जी । 

Comment by asha pandey ojha on June 25, 2014 at 4:08pm

bahut sundar prarthna 

Comment by Savitri Rathore on June 25, 2014 at 12:18pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी,आप वरिष्ठजनों का स्नेह ऐसे ही बना रहे और मेरा पथ-प्रदर्शन करता रहे। आभार !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 25, 2014 at 12:10pm

सावित्री जी

आपके मनोभाव मधुर है  i सुन्दर है i ऐसे ही भाव सरसाते  जाiइये i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
15 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service