For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अकेलापन [कुण्डलिया

बैठ अकेले सोचती ,तुमको दिन और रात
जान हमारी ले गए ,बहते हैं जज्बात /
बहते हैं जज्बात सजल हैं आँखें रहती
टूटा है विश्वास, हर निगाह यही कहती
तुम बिन हैं सुनसान सभी दुनिया के मेले
सरिता रही पुकार, हर रोज बैठ अकेले //

.........................................................

..................मौलिक व अप्रकाशित .............

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2014 at 8:33pm

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति पर शिल्पगत त्रुटियाँ रह गयी हैं ...

बैठ अकेले सोचती ,तुमको दिन और रात  ................रेखांकित अंश की मात्रा १२ हो रही है 

जान हमारी ले गए ,बहते हैं जज्बात
बहते हैं जज्बात सजल हैं आँखें रहती......................एक ही पंक्ति में दो बार 'हैं ' दूसरे हैं को बदला जा सके तो बेहतर होगा 
टूटा है विश्वास, हर निगाह यही कहती ...................यहाँ गेयता भी बाधित है, और 'हर निगाह' से आपका क्या तात्पर्य है ?
तुम बिन हैं सुनसान सभी दुनिया के मेले 
सरिता रही पुकार, हर रोज बैठ अकेले //.................यहाँ भी रेखांकित अंश में गेयता बाधित है 

इस प्रयास पर बधाई स्वीकारें 

Comment by Sarita Bhatia on March 22, 2014 at 9:52am

शुक्रिया आदरणीय जितेन्द्र जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 22, 2014 at 8:18am

मर्मस्पर्शी रचना , बधाई आपको आदरणीया सरिता जी

Comment by Sarita Bhatia on March 21, 2014 at 8:28pm

आदरणीय भाई राम जी आपने ठीक कहा मैंने मौलिक में सुधार कर लिया है 

Comment by Sarita Bhatia on March 21, 2014 at 8:27pm

आदरणीया शशि जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on March 21, 2014 at 8:27pm

आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार 

Comment by ram shiromani pathak on March 20, 2014 at 9:33pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया। हार्दिक बधाई आपको

तुमको दिन और रात=१२
तुमको दिन औ रात=११ सादर

Comment by shashi purwar on March 20, 2014 at 7:39pm

सुन्दर प्रयास आदरणीय सरिता जी बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2014 at 4:54pm

आदरणीया सरिता जी सुन्दर कुंडलियों के लिए हार्दिक बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service