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त्रिभंगी - १०, ८, ८, ६ (जगण पृथक शब्द के रूप में प्रयुक्त नहीं हो सकता)

बैठी पदमासन, सब पर शासन, वरद अभय कर, मुसकाती |

वीणा रव सुन्दर, उर के अंदर, सब कुछ झंकृत, कर जाती ||

आशीष दयामयि, हे करुणामयि, सतत विमल हो, मति मेरी |

कोटिक रवि जागे, अघ तम भागे, जलधारा जनु, गति मेरी ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2014 at 11:53am

बहुत अच्छे भाईजी. बहुत अच्छे. शिल्प भाव और प्रस्तुति के लिहाज से पठनीय रचना. आप पर शारदे की कृपा रहे.
शुभ-शुभ

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 6, 2014 at 10:36pm

आदरणीय गिरिराज सर और आदरणीय केवल प्रसाद जी..रचना पर समय देने और उसे सराहने के लिए कोटिशः आभार..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 6, 2014 at 9:14pm

आ0 मनोज भाई जी, बहुत ही सुन्दर प्रयास । हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 6, 2014 at 5:59pm

आदरणीय मनोज भाई , छंद पढ के आनन्द आ गया , बहुत बधाइयाँ ॥ शिल्प ज्ञान मुझे नही है , विद्व जन ही बता पायेंगे ॥

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 5, 2014 at 8:44pm

कोटिशः आभार..विवेक भाई..आदरणीय प्रदीप सर...आदरणीया राजेश जी..मुझे इस बात का भान था की कहीं न कहीं कमी अवश्य रह गयी..मुझे भी पदमासन के बाद पावन का होना खटक रहा था.अब यह बात साफ़ हो गयी..आपका कोटिशः आभार..अब मैं और बेहतर कर सकता हूँ..ह्रदय से आभारी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 5, 2014 at 5:22pm

मनोज कुमार सिंह जी त्रिभंगी छंद पर अनुपम प्रयास किया है आपने नीचे की तीनो पंक्तियों में तुकांतता भी भली प्रकार निबाही ,किन्तु प्रथम पंक्ति में पद्मासन और पावन की तुकांतता ठीक नहीं बैठ रही बाकी आपका प्रयास काबिले तारीफ है बहुत सुन्दर छंद निकला है आपकी कलम से बहुत- बहुत बधाई. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2014 at 4:39pm

सुन्दर प्रस्तुति 

सादर बधाई 

Comment by Vivek Jha on March 5, 2014 at 1:16pm

waah waah kya baat hai, jai maa saraswati :)

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on March 5, 2014 at 12:54pm

कविता को पढ़ने और सराहने हेतु कोटिशः आभार आदरणीय अखिलेश भाई..कृपया कथ्य और शिल्प पर भी गौर फरमाए..कैसा बना है?

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 4, 2014 at 9:39pm

आदरणीय  मनोज भाई,

माँ सरस्वतीजी की सुंदर वंदना त्रिभंगी में , हार्दिक बधाई।

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