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गजल : हम भी तेरी याद में रोए, ये भी तुमको मालुम हो//शकील जमशेदपुरी//

बह्र : मात्रिक बह्र

________________________________

तुम तड़पी तो हम भी तरसे, ये भी तुमको मालुम हो
तुमसे ज्यादा हम टूटे थे, ये भी तुमको मालुम हो

तुमको इसका दुख है तुमने, मेरे खातिर दर्द सहा
हम भी तेरी याद में रोए, ये भी तुमको मालुम हो

मेरा ऊँचा बंगला जाने, दुनिया को क्यों खलता है
एक समय था दर-दर भटके, ये भी तुमको मालुम हो

बस देख के उनकी सूरत को, उनको अच्छा मत जानो
इक चेहरे पे कितने चेहरे, ये भी तुमको मालुम हो

राह में मेरी फूल बिछे तो, कहते हो तुम किस्मत है
पांव में कितने चुभे थे कांटे, ये भी तुमको मालुम हो

रिश्ता बनना खेल नहीं है, बनते बनते बनती है
लेकिन कैसे रिश्ते निभते, ये भी तुमको मालुम हो

-शकील जमशेदपुरी

____________________________________

*मौलिक एवं अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 4:08pm

ग़ज़ल के लिए बधाई, भाईजी.

मालूम को मालुम कह सकते हैं ? यदि हां तो ढेर सारी बधाइयाँ.

एक बात :

रिश्ता पुल्लिंग है.

Comment by विजय मिश्र on March 6, 2014 at 5:44pm
"मेरा ऊँचा बंगला जाने, दुनिया को क्यों खलता है
एक समय था दर-दर भटके, ये भी तुमको मालुम हो

बस देख के उनकी सूरत को, उनको अच्छा मत जानो
इक चेहरे पे कितने चेहरे, ये भी तुमको मालुम हो

- क्या खूब कहा शकील भाई ,तबियत खुश हो गयी |दिली दाद कुबूलें |
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 5, 2014 at 11:30pm

राह में मेरी फूल बिछे तो, कहते हो तुम किस्मत है
पांव में कितने चुभे थे कांटे, ये भी तुमको मालुम हो...........यह शेर बहुत खास हुआ, ढेरों बधाइयाँ आदरणीय शकील साहब

Comment by Anita Maurya on March 5, 2014 at 6:01pm

राह में मेरी फूल बिछे तो, कहते हो तुम किस्मत है
पांव में कितने चुभे थे कांटे, ये भी तुमको मालुम हो.. बहुत सुन्दर 

Comment by Meena Pathak on March 4, 2014 at 10:11am
Kyaa Baat hai, Bahut khoob ... Badhiyan
Comment by Saarthi Baidyanath on March 4, 2014 at 8:55am

राह में मेरी फूल बिछे तो, कहते हो तुम किस्मत है
पांव में कितने चुभे थे कांटे, ये भी तुमको मालुम हो....इस शे'र के लिए दिली दाद ! एक बढ़िया ग़ज़ल हुई है जनाब ! मुबारकबाद !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2014 at 7:24pm

आदरणीय शकील भाई , बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥ आदरणीय ' रिश्ता ' पुल्लिंग शब्द है , आखरी शे र देख लीजियेगा ॥

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
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