For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत कोई गा रहा है आज मेरे मौन में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122    2122    2122    212

कौन चुपके आ रहा है आज मेरे मौन में

गीत कोई गा रहा है  आज मेरे  मौन में

 

वाक़िया जिसकी वज़ह से दूरियाँ बढ़ने लगीं 

बस वही समझा रहा है ,आज मेरे मौन में

 

ख़्वाब कोई अब पुराना टूट जाने के लिये

देख फिर इतरा रहा है , आज मेरे मौन में

 

अश्क़ मेरी आखों से जो बह नहीं पाया कभी

रो रहा , पछता रहा है ,आज मेरे मौन में

 

रास्ता छोड़ा अगर तो मै न फिर वापस गया

खूब याद आता रहा है  आज मेरे मौन में

 

यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो

दर्द  कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे

 

ज़िन्दगी की डोर का इक छोर हाथ आया ही था

फिर कोई उलझा रहा है ,आज मेरे मौन में

**************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on February 22, 2014 at 11:32pm

यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो

दर्द  कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे

ज़िन्दगी की डोर का इक छोर हाथ आया ही था

फिर कोई उलझा रहा है ,आज मेरे मौन में

wah wah sahab khoob badhai aapko,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 22, 2014 at 10:35pm

यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो

दर्द  कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे........बहुत खूब,

सुंदर गजल बधाई आदरणीय गिरिराज जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 22, 2014 at 9:32pm

आदरणीय बड़े भाई अखिलेश जी , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 22, 2014 at 9:29pm

छोटे भाई गिरिराज,

अच्छी ग़ज़ल की हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 22, 2014 at 8:41pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपकी दाद दिल से कुबूल करता हूँ , गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 22, 2014 at 8:39pm

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , गज़ल के सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 22, 2014 at 8:38pm

आदरणीय  श्याम नारायण भाई , ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 22, 2014 at 7:52pm

ख़्वाब कोई अब पुराना टूट जाने के लिये

देख फिर इतरा रहा है , आज मेरे मौन में----क्या बात है ....

ज़िन्दगी की डोर का इक छोर हाथ आया ही था

फिर कोई उलझा रहा है ,आज मेरे मौन में-----शानदार ...बहुत बढ़िया ग़ज़ल दाद कबूलें 

 

 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 4:25pm

यार मेरे अब न हँसने की कोई बातें करो

दर्द  कोई खा रहा है , आज मेरे मौन मे////////बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल  आदरणीय गिरिराज जी //सादर

Comment by Shyam Narain Verma on February 22, 2014 at 3:49pm
"क्या बात है ..... बहुत खूब ... बधाई आप को "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service