For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झूठ सत्य की ओट रख, दे दूजे को चोट,

कडुवापन आनंद दे, जब हो मन में खोट |

 

मीठा लगता झूठ है, सनी चासनी बात 

पोल खुले से पूर्व ही, दे जाता आघात |

 

जैसी जिसकी भावना, वैसा बने स्वभाव 

मन में जैसी कामना, मुखरित होते भाव |

 

जितनी सात्विक भावना, तन में  वैसी लोच

पारदर्शी भाव बिना, विकसित हो ना सोच |

 

हिंसा की ही सोच में, प्रतिहिंसा के भाव,

सत्य अहिंसा भाव का, सात्विक पड़े प्रभाव |

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 416

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2014 at 12:22pm

आपका हार्दिक आभार श्री राम शिरोमणि पाठक जी |

"झूठ सत्य की ओट रख, दे दूजे को चोट,

कडुवापन आनंद दे, जब हो मन में खोट |///////////यह दोहा मै नहीं समझ पाया" हो सकता है मै समझा नहीं सका हो | पर -

- मेरे कहने का आशय यह है कि आदमी सच भी दूसरों को चोट पहुचाने के लिए बोलता है | क्योंकि उसे मजा सच में नहीं कडुवेपण में आता है | अर्थात हमारा झूठ मीठा होता है जिसे हम चलना चाहते है | 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 23, 2014 at 10:15am

दोहे सार्थक लगे यह जानकार ख़ुशी हुई | आपका हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे जी 

Comment by ram shiromani pathak on February 22, 2014 at 2:13pm

सुंदर प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण जी ,हार्दिक बधाई आपको  .........   सादर 

झूठ सत्य की ओट रख, दे दूजे को चोट,

कडुवापन आनंद दे, जब हो मन में खोट |///////////यह दोहा मै नहीं समझ पाया

जितनी सात्विक भावना, तन में  वैसी लोच

पारदर्शी भाव बिना, विकसित हो ना सोच |/////////////यहाँ अटकाव सा लगा

सादर...............

Comment by vijay nikore on February 22, 2014 at 11:57am

सार्थक संदेश देते दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण जी।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 9:58am

दोहे पसंद कर सराहने के लिए धन्यवाद श्री लक्ष्मण धामी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 22, 2014 at 9:50am

दोहे पसंद करने के लिए आभार श्री गिरिराज भंडारी जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 20, 2014 at 10:59pm

आदरणीय  भाई लक्ष्मण जी , गूढ़  सन्देश देते दोहों के लिये हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 20, 2014 at 5:53pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर सन्देश देते दोहों के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service