For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, 
विद्या का तू उपहार दे माँ,

जीवन पथ पर बढ़ती जाऊँ, 
अपनों का विश्वास बनूँ माँ, 
अंधियारे को दूर भगा दूँ, 
ऐसी तेरी दास बनूँ माँ, 
तेरी महिमा जग में गाउँ , 
अधरों को तू उदगार दे माँ, 
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, 
विद्या का तू उपहार दे माँ,

मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब, 
विष का भी मैं पान करूँ माँ, 
फूलों पर जैसे चलती हूँ, 
शूलों को भी पार करूँ माँ, 
तूफानों में राह बना लूँ, 
ज्ञान का तू भण्डार दे माँ , 
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, 
विद्या का तू उपहार दे माँ.. 

(Anita Maurya ) 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 2255

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Maheshwari Kaneri on January 17, 2014 at 1:29pm

 माँ शारदे की वंदना , बहुत सुंदर, अनीता जी

Comment by annapurna bajpai on January 16, 2014 at 6:01pm

  बहुत सुंदर माँ शारदे की वंदना , आ0 अनीता जी बधाई आपको । 

Comment by Anita Maurya on January 16, 2014 at 9:39am

Aap sab ka bahut bahut aabhar.. 

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 10:09am

आदरणीया अनिता जी , सुन्दर प्रस्तुति के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 13, 2014 at 6:11pm

आदरणीया अनिता जी , सुन्दर प्रार्थना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on January 12, 2014 at 10:00pm

सुंदर प्रस्तुतिकरण....हार्दिक बधाई. अनीता जी.

Comment by Meena Pathak on January 11, 2014 at 5:09pm

मधु का स्वाद लिए है ज्यो अब, 
विष का भी मैं पान करूँ माँ, 
फूलों पर जैसे चलती हूँ, 
शूलों को भी पार करूँ माँ, 
तूफानों में राह बना लूँ, 
ज्ञान का तू भण्डार दे माँ , 
हे हंसवाहिनी, हे शारदे माँ, 
विद्या का तू उपहार दे माँ.. ...............माँ शारदे की कृपा बनी रहे प्रिय अनीता .. कलम यूँ ही चलती रहे ,, बहुत बहुत बधाई | सस्नेह 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service