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नया वर्ष - नई सुबह (गीत) अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

नई सुबह के स्वागत् में, हम वंदनवार लगायें।                                                    

रंग बिरंगे  फूलों से, घर आंगन  द्वार सजायें॥

 

नये वर्ष के  अभिनंदन में,  गीत नया हम गायें।

मंगल की सब करें कामना, मिलकर जश्न मनायें॥

 

फूल खिले हैं, बगिया महकी , हैं भँवरे मंडराये।

भ्रमर सरीखे हम भी झूमे , गुंजन करते जायें ॥

 

कुहू -कुहू जब कोयल कूके, चहुँदिश मस्ती छाये।

हम भी ऐसी  बोली  बोलें , मन सबका  हर्षायें॥

 

छूने को आकाश ये पंछी , बड़ी दूर  तक जायें।

अपनी बांहें फैलाकर हम, मन उड़ने का बनायें॥   

 

चिड़ियों का कलरव प्यारा है, एक ही सुर में गायें।

पास चलें, चुपचाप चलें,  स्वर हम समवेत मिलायें॥

 

पंछी जीना सिखलाते, हम, मन में उमंग जगायें।

छोटी सी जिंदगानी है, मिल-जुलकर मधुर बनायें॥

 

नया  सूर्य है , वर्ष नया है,  बहती  ठंडी हवायें।

शुभ प्रभात की बेला में हम, सपने नये  सजायें॥

 

धुंध, साथ में  धूप खिली है,  खुशबू भरी  फिज़ायें।

द्वार, खिड़कियाँ सभी खोल दो, घर तक ये आ जायें॥

*************

सपरिवार सभी सदस्यों, पाठको  के लिए यह नव वर्ष मंगलमय हो॥

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव

विवेकानंद नगर, धमतरी ( छत्तीसगढ़ )      

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 1, 2014 at 11:37pm

नया  सूर्य है , वर्ष नया है,  बहती  ठंडी हवायें।

शुभ प्रभात की बेला में हम, सपने नये  सजायें

सुंदर सकारात्मक भाव , नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ बधाई स्वीकारें आदरणीय अखिलेश जी

Comment by MAHIMA SHREE on January 1, 2014 at 9:43pm

बहुत खूबसूरत गीत... हार्दिक बधाई आपको साथ में  शुभकामनायें भी सादर

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 9:14pm

वाह अखिलेश जी बहुत ही खूबसूरत लिखा है
बहुत बहुत हार्दिक बधाई
और दुनिया जिसको नव वर्ष कहती है हालांकि मुझे ये नव वर्ष समझ में
नही आता है उसकी हार्दिक बधाई
बधाई तो दिल कि चीज है कोई दुनिया का दस्तूर थोड़े ही है
वो तो बस देते जाइये बेवज़ह बिना कारण भी ।


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Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2014 at 7:53pm

आदरणीय अखिलेश बहुत खूबसूरत गीत रचा है बधाई एवं नववर्ष की शुभकामनायें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 1, 2014 at 6:06pm

नये वर्ष के  अभिनंदन में,  गीत नया हम गायें।

मंगल की सब करें कामना, मिलकर जश्न मनायें॥-  वाह बहुत सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई और नव वर्ष की आपको भी सपरिवार  शुभ मंगल कामनाए श्री अखेलिश भाई 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 1, 2014 at 6:00pm
आदरणीय अखिलेश जी! सुन्दर गीत रचना है।
आपको भी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 1, 2014 at 5:55pm

आदरणीय बड़े भाई , कहुत सुन्दर रचना की है आपने , लाजवाब ॥ बधाइयाँ ॥

धुंध, साथ में  धूप खिली है,  खुशबू भरी  फिज़ायें।

द्वार, खिड़कियाँ सभी खोल दो, घर तक ये आ जायें॥ ------ खास के लिये खास बधाइयाँ ॥

Comment by Sushil Sarna on January 1, 2014 at 3:26pm

aa.Akhilesh jee nav varsh ke avsar pr ati sundr aur bhaavpoorn kriti....is sundr srijan hetu haardik badhaaee aur navvarsh kee haardik shubhkaamnaayen

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