For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्कूल के कुछ दोस्त मिलकर घर में पड़े पुराने कम्बल गरीबों में बाँटने को निकले। कम्बल बाँट कर वे ज्यों ही वापस चलने को हुए, एक बुजुर्ग ने आवाज़ लगाई ………

"बबुआ जी तनिक सुनो"

"जी बाबा, आपको तो कम्बल दे दिया न ?"

"जी बबुआ जी, कम्बल तो दिया और फिर आप लोग ऐसे ही चल दिए"
"ऐसे ही चल दिए मतलब ?"

"बबुआ जी, पिछले तीन दिन से चमचमाती गाड़ियों में साहब लोग आते हैं, कम्बल बाँट कर फ़ोटो खिचवाते हैं और फिर २०-२० रूपया देकर कम्बल वापस ……… "

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट =>कीमत

Views: 1272

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:59am

कटाक्ष जबरदस्त.... हाय रे ठण्ड की ऐसी गरमाई ..... फेसबुक पर ऐसी कई तस्वीरें इसी जाड़े में नजर आई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on February 16, 2014 at 11:50pm

आदरणीय बागी जी इस लघु कथा ने सच पर डाले परदे को उघार कर रख दिया एक कड़वा सच। … काश लोग आँखें खोलें
सुन्दर।
भ्रमर ५
प्रतापगढ़  उ.प्रदेश


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 27, 2013 at 10:41pm

//....क्या ऐसा भी होता है....वेरी बेड.//

बहुत कुछ होता है आदरणीया कुंती मुखर्जी जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 27, 2013 at 10:38pm

सराहना हेतु ह्रदय से आभार आशीष नैथानी जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 27, 2013 at 10:37pm

आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्प्णी सदैव नवलेखन को प्रोत्साहित करती है, बहुत बहुत आभार |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 27, 2013 at 10:34pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार तपन दुबे जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 27, 2013 at 10:34pm

उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय से आभार आदरणीय अभिनव अरुण जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 27, 2013 at 10:33pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रधान सम्पादक श्री योगराज प्रभाकर जी, लघुकथा के महारथी से सराहना पाना खुद में एक पुरस्कार जैसा है, पुनः आभार |

Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 9:52am

वाह! सच्चाई को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 2:00am

आजकी ऐसी नंगी सच्चाई जिसका होना मानवीय सामाजिकता को गुनाहों के दर तक ले गयी है. इस लघुकथा के लिए हृदय से बधाई भाई गनेसजी.
शुभ-शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service