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मुश्किल काम होता है

चढ़ाये रखना ,

लगातार बहुत समय तक 

सजावट को ,

रह पाये कोई अगर तुम्हारे साथ

अधिक समय तक

लगातार, तो

फीकी पड़ने लगेंगी

उतरने लगेंगी

दरकने लगेंगी

परत दर परत

सजावटें

अव्यवस्थित हो जायेंगी

सारी सावधानियाँ

जाहिर होने लगेगा

असली रूप !!!

मुखौटे

चाहे आप चेहरे पे चढ़ाये हों

या

अपनी भावनाओं पर !!!!

*******************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:12pm

आदरणीय गिरिराज सर अच्छी कविता है बधाई स्वीकार करें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 9:30pm

आदरणीया कुंती जी, आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करती रही है , आपका तहे दिल से शुक्रिया !! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 9:27pm

आदरणीया सविता जी , !!!!! रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 9:26pm

आदरणीय नादिर खान भाई , रचना पर आपकी उपस्थिति और सराहना दोनो मेरे लिये अत्यंत आनंद का कारण हैं !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 9:23pm

आदरणीय आशुतोष भाई , रचना की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!

Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:54pm

बहुत सुंदर आइना आपने प्रस्तुत की है.

मुखौटे

चाहे आप चेहरे पे चढ़ाये हों

या

अपनी भावनाओं पर !!!!

शुभकामानएँ

Comment by savitamishra on December 12, 2013 at 6:31pm

sundar

Comment by नादिर ख़ान on December 12, 2013 at 6:01pm

जाहिर होने लगेगा

असली रूप !!!

मुखौटे

चाहे आप चेहरे पे चढ़ाये हों

या

अपनी भावनाओं पर !!!!

आदरणीय गिरिराज़ जी शानदार रचना के लिए मुबारकबाद ........

आप गज़ल कहें या कविता एक अलग छाप छोड़ जाते हैं ।बहुत ख़ूब ....

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 4:24pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..बिलकुल सच कहा है कभी न कभी तो पर्दा गिरेगा ही ....आप के तरकश का एक और बेमिशाल तीर ...आपके साहित्यिक बैबिध्य को सलाम करते हुए ..सादर प्रणाम के साथ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 2:29pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , !!!!! रचना की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!

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