For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेमधारा मेरी बाधित है अभी ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122      2122      2122      212

.

आपकी पिछली कही मन में प्रवाहित है अभी

इसलिये तो प्रेमधारा मेरी बाधित है अभी

 .

अब सदा बहती ही रहती है उपेक्षा आँखों से

मै कहाँ हूँ आपके मन में ये साबित है अभी

 .

है बड़ी उलटी समस्या रीतता अब प्रेम पर

गाँव-नगरों में हमारा प्रेम चर्चित है अभी   

 .

सारा विष जो आपने अब तक इकठ्ठा था किया

आपकी बातों में वो सारा समाहित है अभी

 .

हाँ, सलोनी धूप मे है छांव किसकी, है पता

और शासक कौन है, क्यों सोच शासित है अभी 

.

मित्र मेरे, अब सहारा है मुझे चुप्पी का बस     

भागते इस भूत की लंगोट इच्छित है अभी

 

******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

Views: 867

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on December 7, 2013 at 10:51am
जय हो आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 9:01pm

आदरणीय नीरज भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!! आपकी सराहना का पूरा श्रेय ओ बी ओ को जाता है , जहाँ आ कर मै कुछ आपकी सराहना के योज्ञ सीख पाया !!!!! आपका और ओ बी ओ दोनो का आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 8:57pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!

आदरणीया - रीतता = समाप्त होता , खाली होता , शनैः शैनः कम होता  के अर्थ मे लिया लिया हूँ , अगर गलत लगता हो तो ज़रूर

बतायें , मै अपनी गलती सदा मानने और सुधारने के लिये तैयार हूँ !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 8:50pm

आदरणीया कुंती जी , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 8:49pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!! आपाने सही कहा है उस मिसरे मे- तो शब्द जादा है मै अपनी लापर्वाही पर शर्मिन्दा हूँ , मै अभी सुधार कर लूंगा !!!! आपका पुनः आभार !!!!!!

Comment by Neeraj Nishchal on December 6, 2013 at 7:18pm
आदरणीय भंडारी जी आप तो कविता के जादूगर हो रखे हैं बहुत ही खूबसूरत और ईमानदार ग़ज़ल लिखी है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 6, 2013 at 6:29pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी सुन्दर ग़ज़ल लिखी है कुछ बातों में संशय है दूर करें तो ग़ज़ल का मजा दुगुना हो जाएगा --काफिये  में ईता दोष .??...

 

है बड़ी उलटी समस्या रीतता अब प्रेम पर----रीतता शब्द समझ नहीं आया 

अब सदा बहती ही रहती है उपेक्षा आँखों से

मै कहाँ हूँ आपके मन में ये साबित है अभी-----सुन्दर 

 .

सारा विष जो आपने अब तक इकठ्ठा था किया

आपकी बातों में वो सारा समाहित है अभी-----अव्वल दर्जे का शेर 

भागते भूत की लंगोट भी अच्छा लगा 

ग़ज़ल के लिए बहुत- बहुत बधाई आपको आदरणीय. 

 .

 

Comment by coontee mukerji on December 6, 2013 at 6:16pm

सारा विष जो आपने अब तक इकठ्ठा था किया

आपकी बातों में वो सारा समाहित है अभी...........कहते है किसीके प्रति अगर विष पालो तो एक न एक वह आलम्बन पाकर बाहर निकल ही आता है.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 6:11pm

वाह वाह आदरणीय गिरिराज सर उम्दा ग़ज़ल लाजवाब अशआर बन पड़े हैं इस हेतु ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.

मित्र मेरे, अब तो सहारा है मुझे चुप्पी का बस   ... इस शेर की तक्तीअ पुनः कर लें कुछ खटक रहा है.

भागते इस भूत की लंगोट है इच्छित अभी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Jan 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service