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बात क्या है जो रात भारी है : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122 1212 22

बात क्या है जो रात भारी है,
इश्क है या कोई बिमारी है,

जान लेती रही हमेशा पर,
याद तेरी बहुत दुलारी है,

मौत से डर के लोग जीते हैं, 
जिंदगी ये ही सबसे प्यारी है,

हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है,

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है....

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on December 5, 2013 at 12:20pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय अरुण भाई
तहे दिल से आपको बहुत बहुत बधाई

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 5, 2013 at 7:21am

बहुत ख़ूब ...बधाई 

Comment by hemant sharma on December 4, 2013 at 11:44pm
"हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है" आपकी ये पंक्तियां दिल को छु लेती हैं , बधाई आ. अरुण जी
Comment by ram shiromani pathak on December 4, 2013 at 10:50pm

आदरणीय अरुण भाई , !!! लाजवाब गज़ल  , आपको बहुत बहुत बधाई !!!!!

हाथ खाली ही लेके जायेगा,
जग से राजा भले भिखारी है.//////////////////////भाई यहाँ कुछ कम समझ पाया मै...... सादर 

Comment by Tapan Dubey on December 4, 2013 at 6:27pm
हुस्न कातिल सही सुनो लेकिन,
सादगी फूल सी तुम्हारी है, :))

क्या बात क्या बात अरुन भाई बहुत बढ़िया गजल मजा आ गया पड कर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 6:16pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , !!! लाजवाब गज़ल कही है सभी शे र उम्दा हुये हैं , आपको बहुत बहुत बधाई !!!!!

Comment by Sarita Bhatia on December 4, 2013 at 4:38pm

बहुत खुबसूरत अशआर अरुण ,हार्दिक बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 4, 2013 at 4:17pm

आदरणीय भ्राताश्री आपकी नजर-ऐ-इनायत हुई मन प्रसन्न हो उठा, ग़ज़ल आपको पसंद आई इससे अधिक प्रसन्नता की बात मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती. आपकी बधाई हृदयतल से स्वीकार्य करता हूँ. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रखिये.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 4, 2013 at 3:31pm

वाह वाह अरुन बाबू , बहुत खूब, अच्छी ग़ज़ल कही है, एक एक शेर पसंद आया, बहुत बहुत बधाई |

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