For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : क्यूँ वो अक्सर मशीन होते हैं

बह्र : २१२२ १२१२ २२

---------

याँ जो बंदे ज़हीन होते हैं

क्यूँ वो अक्सर मशीन होते हैं

 

बीतना चाहते हैं कुछ लम्हे

और हम हैं घड़ी न होते हैं

 

प्रेम के वो न टूटते धागे

जिनके रेशे महीन होते हैं

 

वन में उगने से, वन में रहने से

पेड़ खुद जंगली न होते हैं

 

उनको जिस दिन मैं देख लेता हूँ

रात सपने हसीन होते हैं

 

खट्टे मीठे घुलें कई लम्हे

यूँ नयन शर्बती न होते हैं

--------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 877

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on November 19, 2013 at 2:21pm

वन में उगने से, वन में रहने से

पेड़ खुद जंगली न होते हैं ,,,,, क्या कहन है! 

बीतना चाहते हैं कुछ लम्हे

और हम हैं घड़ी न होते हैं,,,,, लाजवाब! 

बहुत शिद्दत से कही गज़ल पर ढेरों दाद लीजिये!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 19, 2013 at 1:02pm

वाह वाह क्या बात है

प्रेम के धागे .............तजुर्बा भर दिया है आपने आदरणीय

सपने हसीं ..........प्रेमियों का हालेदिल बयान हो गया

और मतअले के लिए तो दाद पे दाद क़ुबूल फरमाइए सर जी

ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब

Comment by AVINASH S BAGDE on November 19, 2013 at 10:41am

उनको जिस दिन मैं देख लेता हूँ

रात सपने हसीन होते हैं...mubarak ho ..धर्मेन्द्र कुमार सिंह bhai.

Comment by vijay nikore on November 19, 2013 at 10:24am

इस सुन्दर गज़ल के लिए बधाई।

 

Comment by नादिर ख़ान on November 18, 2013 at 10:03pm

प्रेम के वो न टूटते धागे

जिनके रेशे महीन होते हैं.......

उनको जिस दिन मैं देख लेता हूँ

रात सपने हसीन होते हैं.............

वाह वाह क्या बात कही है, आदरणीय धर्मेंद्र कुमार जी ..

सुंदर रचना के लिए बधाई....

Comment by MAHIMA SHREE on November 18, 2013 at 9:19pm

याँ जो बंदे ज़हीन होते हैं

क्यूँ वो अक्सर मशीन होते हैं.....

बेहद उम्दा गज़ल... हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. धर्मेन्द्र जी

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 18, 2013 at 7:23pm

बधाई आपको एक सुन्दर ग़ज़ल से रु ब रु कराने के लिए 

Comment by Abhinav Arun on November 18, 2013 at 5:26pm

अद्भुत चमत्कृत करती शैली की ग़ज़ल आ. धर्मेन्द्र जी बहुत बधाई कमाल कमाल क़माल !!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 18, 2013 at 5:10pm

सुंदर ग़ज़ल 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 18, 2013 at 4:42pm

//याँ जो बंदे ज़हीन होते हैं

क्यूँ वो अक्सर मशीन होते हैं// बहुत बढ़िया बेहतरीन शे'र

आदरणीय धर्मेन्द्र जी इस ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service