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आपका वो मज़ाक अच्छा था

मिले तुम इत्तिफाक अच्छा था ।
हसरते दिल फिराक अच्छा था ।

मुझ से बोला कि प्यार है तुमसे ,
आपका वो मज़ाक अच्छा था ।

पाके खोया तुम्हे तो ये पाया ,
मै तनहा ही लाख अच्छा था ।

नज़रें फेरे जो तुमको देखा तो ,
लम्हा वो दर्द नाक अच्छा था ।

प्यार में मेरे हज़ारों कमियाँ ,
तेरा धोखा तो पाक अच्छा था ।

कस्मे वादे रहीं न रस्में वफ़ा ,
दिल दिल का तलाक अच्छा था ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

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Comment

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 20, 2013 at 1:55pm

अच्छी प्रस्तुति हुई है नीरज जी, बधाई स्वीकार कर लेंगे |

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 2:34pm

कस्मे वादे रहीं न रस्में वफ़ा ,
दिल दिल का तलाक अच्छा था ।// बढ़िया कथ्य के साथ बढ़िया गजल है| बहर भी साथ होती तो बढ़िया होता|

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 5:07pm

AAP  TANHA  H I LAKH   ACHCHE HAIN

AAPKE LAFJE SHUMAR ACHCHE HAIN

Comment by वीनस केसरी on November 2, 2013 at 11:33pm

नीरज मिश्रा जे सुन्दर प्रयास है ... लय को और साध लें तो ग़ज़ल और सध जाए

Comment by बृजेश नीरज on November 1, 2013 at 7:42pm

भाई जी अगर बहर भी लिख देते तो अच्छा होता.

आपके इस कहन पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Ravi Prabhakar on November 1, 2013 at 6:11pm

आदरणीय नीरज मिश्रा जी,
आपके अंदाज-ए-बयां का तो मैं कायल हो गया। बहुत खूबसूरज ग़ज़ल कही आपने।
एक-एक शब्द उनकी बेवफाई पर कटाक्ष करता है, बहुत खूब।
पाके खोया तुम्हे तो ये पाया ,
मै तनहा ही लाख अच्छा था ।
ग़ज़ल का बेहतरीन हिस्सा है। उत्कृष्ट रचना सृजन के लिए दिल की गहराइयों से शुभकामनाएं
स्वीकार करें। आपकी और प्र्रस्तुतियों का ब्रेसब्री से इंतजार रहेगा।

Comment by राजेश 'मृदु' on October 31, 2013 at 2:52pm

जय हो, दाद कबूलें इस सुंदर प्रस्‍तुति पर, सादर

Comment by ram shiromani pathak on October 30, 2013 at 8:24pm

मिले तुम इत्तिफाक अच्छा था । 
हसरते दिल फिराक अच्छा था ।

मुझ से बोला कि प्यार है तुमसे ,
आपका वो मज़ाक अच्छा था ।

वाह  भाई वाह ज़ोरदार ग़ज़ल  ////// बहुत बहुत   बधाई आपको आ0 नीरज जी । 

Comment by annapurna bajpai on October 30, 2013 at 6:26pm

खूबसूरत  गजल के लिए बधाई आपको आ0 नीरज जी । 

Comment by विजय मिश्र on October 30, 2013 at 4:04pm
"पाके खोया तुम्हे तो ये पाया ,
मै तनहा ही लाख अच्छा था ।" बहुत खूबसूरत गजल ,नीरजजी बधाई लें .

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