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क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो ( गीत ) गिरिराज भंडारी

       क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 

गर्मी में तुम चन्द्र किरण हो

और शीत में ताप अगन हो

मेरा जीवन थामा  जिसने

तुम मेरा वो प्राण- पवन हो 

       मुझमे जीती तुम ममता हो

       क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

तुम मेरा जीवन सम्बल हो

बाहर अन्दर तुम ही बल हो

तुम अतीत हो वर्तमान हो

आने वाला तुम ही कल हो

     तुम ही मेरा अता पता हो

     क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 

दिवा स्वप्न मेरे जीवन का

तुम उत्तर हो हर कारण का

जोड़ जिसे निर्माता खुश है

हम दोनों का वो बंधन हो

           मुझको धेरी एक लता हो

           क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

मै नदिया तुम आर  पार हो

बीच भँवर मै तुम किनार हो

मै जीता  हूँ सभी  भाव  में

तुम केवल मधु भाव प्यार हो

         तुम ही  मेरी प्रियंवदा हो

         क्या बोलूँ तुम मेरे क्या हो

 


*******************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2013 at 2:38pm

आदरणीय आशुतोष भाई , गीत की सरहना के लिये आपका हार्दिक आभार !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2013 at 2:37pm

आदरणीय बड़े भाई विजय जी , गीत रचना को आपका आशीर्वाद मिला , लेखन सफल हुआ !!!! आपका आभारी हूँ !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2013 at 2:35pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई ,गीत की सराहना और  उत्साह वर्धन के लिये आपका आभार !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 23, 2013 at 2:33pm

आदरणीय बड़े भाई , गीत की सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया !!!!!

Comment by विजय मिश्र on October 23, 2013 at 2:23pm
ठीक पत्नी की तरह सरल-तरल प्रवाह लिए प्रिये और मनोहारी गीत, इसे समय से इस्तेमाल किया जाए तो बिगड़ी मनोदशा सुधर सकती हैं . अनेक शुभकामनाएँ गिरिराजजी .
Comment by coontee mukerji on October 23, 2013 at 2:01pm

बहुत सुंदर गीत है आदरणीय. शुभकामना.

सादर

कुंती.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 23, 2013 at 9:31am

आदरणीय गिरिराजजी बिलकुल मन को छु गयी आपकी ये रचना ..कुछ दिनों से लगातार आपके साहित्यिक बबिध्य के दर्शन हो रहे हैं ..ढेरों शुभकामना..सादर प्रणाम  

Comment by vijay nikore on October 23, 2013 at 7:24am

अति मनोहर गीत.... संजो कर रखने के काबिल। बहुत-बहुत बधाई भाई गिरिराज जी।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 23, 2013 at 1:33am

बहुत मनमोहक गीत, सुंदर भाव, बधाई स्वीकारें आदरणीय गिरिराज जी

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 22, 2013 at 9:56pm

छोटे भाई गीत की हर पंक्तियाँ  लाजवाब है , बधाई।

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