For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुमने ठीक कहा था 
तुम्हारे बिना देख नही पाऊंगा मैं 
कोई भी रंग 
पत्तियों का रंग 
फूलों का रंग 
बच्चों की मुस्कान का रंग 
अज़ान का रंग 
मज़ार से उठते लोभान का रंग 
सुबह का रंग....शाम का रंग 
मुझे सारे रंग धुंधले दीखते हैं 
कुहरा नुमा...धुंआ-धुंआ...
और कभी मटमैला सा कुछ....

ये तुमने कैसा श्राप दिया है 
तुम ही मुझे श्राप-मुक्त कर सकते हो..
कुछ करो...
वरना पागल हो जाऊंगा मैं.....

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 546

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on September 24, 2013 at 9:27pm

...कुछ शब्दों का सफ़र और तय कर अंत करते तो अच्छा था अनवर साहिब वैसे रचना रोचक है ध्यान खींचती है ,,साधुवाद

!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 24, 2013 at 8:39pm

आ० अनवर सुहैल जी 

रचना में थोड़ा सा सपाटपन आ गया है..

अन्त में तो काव्यात्मकता बिल्कुल ही नहीं है.. कथ्य में अच्छी संभावनाएं है सिर्फ सम्प्रेषण पर थोड़ा सा काम करना होगा 

शुभकामनाएँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2013 at 6:04pm

आदरणीय अनवर साहब,

इस बार अस्पष्टता बन गयी है संप्रेषण में. बिम्ब का सार्थक स्वरूप निखर न पाने के कारण मेरा पाठक उलझा हुआ रहा.

रचना का प्रारम्भ और अंत एक दूसरे से अलग लगे.

बहरहाल, आपकी प्रस्तुति को मेरी सादर शुभकामनाएँ

Comment by राज़ नवादवी on September 20, 2013 at 5:09pm

अच्छा प्रयास है,  बधाई हो. शिल्प को और संवारा जा सकता है, अंत को भी थोड़ा कसा जा सकता है. 

Comment by रविकर on September 20, 2013 at 2:57pm

बहुत बढ़िया आदरणीय-
शुभकामनायें-

Comment by Parveen Malik on September 20, 2013 at 2:46pm
आदरणीय बहुत बढिया दिल की व्यथा और तड़प व्यक्त करती रचना ... सादर बधाई !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 20, 2013 at 1:45pm

आदरणीय अनवर भाई , आपकी हर रचना कुछ क्षणों के लिये स्तब्ध कर देती है !! क्या कहूँ !! बहुत बहुत शुक्रिया ऐसी रचना पढ़्वाने के लिये !! और बधाई इस रचना के लिये !!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 20, 2013 at 1:13pm

एक लाइन में पूरी पीड़ा व्यक्त कर गए , बधाई अनवर भाई ।

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 19, 2013 at 10:15pm

आदरणीय बहुत ही मार्मिक रचना पंक्ति दर पंक्ति अथाह प्रेम को बयां कर रही है बहुत बहुत बधाई स्वीकारें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 19, 2013 at 9:56pm

वेदना और संवेदना का बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति हुई है, कविता बरबस आकर्षित करती है, सच ही तो कहा है, गर तू नहीं तो कुछ भी नहीं है । बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुहैल साहब । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service