For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! प्यार का सौगात सावन !!!
2122 2122 2122 212

प्यार का मौसम सुहाना, शोख सावन भा गया।
पड़ गए झूले सखी री, कजरी गायन भा गया।।1

मेघ बरसे भूमि सरसे, मोर - पंछी नाचते।
बाग उपवन खूब झूमे, वायु सनसन भा गया।।2

फूल-शबनम मिल खिले हैं, खुशुबुओ का साथ है।
मस्त तितली उड़ रही है, भौंरा गुनगुन भा गया।।3

मन बड़ा संशय भरा है, राह पिउ की देखती।
फिर झरा छप्पर-घरौंदा टीन टनटन भा गया।।4

क्यों? उदासी प्रेम पाती, आज मोबाइल सुलभ।
रात में वर्षा रूकी जब, नेट धड़कन भा गया।।5

अब चलो बारिश में भीगें, छांव-छतरी छोड़ कर।
कर भरी चूड़ी खनकती, साज खनखन भा गया।।6

सुब्ह का सूरज निराला, गीत पंछी गा रहे।
चात-कोकिल की जुबानी, राग तनमन भा गया।।7

सारी धरती सज गयी है, चुनरी धानी ओढ़ कर।
वायु आंचल सा उड़ाता, खेत-जड़हन भा गया।।8

जब चली ठण्डी हवा, मस्त झोंके प्यार के।
मिल गए दो दिल अचानक, बात गुंजन भा गया।।9

प्यार में सौगात सावन, रोज बारिश हो रही।
भू-गगन मिलते यहां पर, सृष्टि रंजन भा गया।।10

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 714

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 27, 2013 at 7:55pm

आ0 सौरभ सर जी,  सादर प्रणाम!  आपके अपार स्नेह, सुझाव और आशीष वचन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। जी सर, आपके अपेक्षाओं के अनुसार मेरा सद्प्रयास जारी रहेगा।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 3:32am

ज़ल्दबाज़ी न किया करें, भाईजी. इस प्रयासके लिए हार्दिक बधाइयाँ..

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:43pm

आ0 अरून अनन्त भाई जी,  वास्तव में ’पिऊ’ है, टंकण त्रुटि है!  //जब चली ठण्डी हवा औ मस्त झोंके प्यार के! में // ’औ’ शब्द छूट गया है। जिसे सुधार कर लूंगा।  भाई जी!  आपके विशेष स्नेह, सुझाव और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:35pm

आ0 राजेश कुमारी दी जी,  सादर प्रणाम! आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:35pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  सादर प्रणाम! आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:33pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  सादर प्रणाम! आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:32pm

आ0 बृजेश भाई जी,   आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 7:31pm

आ0 शिज्जू भाई जी,   आपको गजल पसन्द आयी, मेरा प्रयास सफल हुआ। आपके विशेष स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदयतल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 2:05pm

आदरणीय केवल भाई जी बेहद सुन्दर ग़ज़ल कही है प्रवाह भी बहुत सुन्दर है भाव भी अच्छे हैं. इस हेतु मेरी बधाई स्वीकारें.

पिउ ??? भाई जी मुझे संशय है क्या यह शब्द ठीक है.

जब चली ठण्डी हवा, मस्त झोंके प्यार के। ... भाई जी यहाँ एक शब्द छूट गया है शायद ऐसा होगा जब चली ठण्डी हवा, ले मस्त झोंके प्यार के. ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 26, 2013 at 11:54am

वाह वाह केवल जी सावन की ऋतु पर क्या शानदार हिंदी ग़ज़ल लिखी बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service