सावधान रहो
सतर्क रहो
किस किस से
कब कब
कहाँ कहाँ
हमेशा रहो
हरदम रहो
जागते हुए भी
सोते हुए भी
क्या कहा ?
ख्वाब देखती हो
किसने कहा था
बंद करो
कल्पना की कूची से
आसमान में रंग भरना
उड़ना चाहती हो ?
क़तर डालो पंखो को
अभी के अभी
ओफ्फ तुम मुस्कुराती हो
अरे तुम तो खिलखिलाती भी हो
बंद करो आँखों में
काजल भरना और
हिरणी सी कुलाचे भर
भवरों संग गुंजन करना
यही तो दोष तुम्हारा है
शोक गीत गाओ
भूल गयी
तुम स्त्री हो !
किसी भी उम्र की हो
क्या फर्क पड़ता है
आदम की भूख
उम्र नहीं देखती
ना ही देखती है
देश धर्म औ जात
बस सूंघती है
मादा गंध
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आ० महिमा जी बहुत सही और सटीक काव्य के रूप मे भावों की अभिव्यक्ति बहुत बधाई ।
उफ्फ!!! मन को उद्देलित करती पंक्तियाँ, प्रत्येक पंक्ति अपने भीतर बहुत कुछ समाहित किये हुए, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शब्द खुद अपनी व्यथा कह रहे हों. सुन्दर शब्द संयोजन शानदार प्रस्तुति आदरणीया महिमा श्री जी. यह रचना आपके नाम को पूर्णतया परिभाषित करती है. ह्रदय से ढेरों बधाई स्वीकारें.
आदरणीय महिमा श्री !
कुंठाग्रस्त समाज के इस पहलू पर इस ताकतवर अंदाज़ में कलम उठाने केलिए आप साधुवाद की पात्र है ! ऐसी ही रचनाएँ बदलाव ला सकती हैं ...
क़तर डालो पंखो को
अभी के अभी
ओफ्फ तुम मुस्कुराती हो
अरे तुम तो खिलखिलाती भी हो
बंद करो आँखों में
काजल भरना और
हिरणी सी कुलाचे भर
भवरों संग गुंजन करना
इस कटाक्ष ने भला किसके ह्रदय को न बींधा होगा ...सौ सौ बार नमन है आपके सृजन को बहुत बहुत शुभकामनायें !!
कुछ ज्यादा कहने की जरूरत नही है पर मेरी राय में सकारात्मक और जुझारू होना पढ़ेगा हर महिला को, नारी को. स्त्री को!
आदरणीया महिमा जी, क्या कहूँ समझ में नहीं आता....! नारी के प्रति नारी की लेखनी से निकली हुई आह है यह....आह....जो तीक्ष्ण है, तीव्र है. आशा है इसकी गूंज आज के समाज में सोयी हुई मानवता को झिंझोड़ कर जगायेगी. ये तेजोद्दीप्त भावनाएँ और रचना का साहस अम्लान रहे. शुभम.
आपका हार्दिक आभार आदरणीय जितेन्द्र जी /
आदरणीया महिमा जी, नारी के मन की वेदना को बखूबी बतलाया आपने , अपनी रचना में, हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आदरणीया शुभ्रा जी ..आपकी टिप्पणी ने रचनाकर्म को मान दिया ..और सन्देश को सार्थकता आपका हार्दिक आभार /
आदरणीया विनीता जी ..आपका हार्दिक आभार स्नेह बनाये रखे /
आदरणीय माथुर जी .नमस्कार ..रचना पर आपकी विस्तृत टिप्पणी बताती है की जो रचना के माध्यम से व्यक्त करना चाहती थी उसमे सफल रही ..लिखना सार्थक रहा आपका हार्दिक आभार / सहयोग बनाये रखे /सादर
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