For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सावन है अति पावन | वीर छंद |

जब घिर बदरा  रिम झिम बरसे  , तब दादुर नाचे बन  मोर |
पवन बहे जब झूम झूम के , तब घासें झूमें झकझोर  |
चाँद छुप छुपआये गगन में , जनु   चाँदनी छुपे हर ओर | 
आया है मन भावन सावन , सब कजरी गावें चहुओर | 
डाली झूम जनु  गुनगुनायें , कोयल भी गाये दिल खोल |
मीन उछल नीर बीच डोले , उड़ खग बोलें मीठे बोल | 
सागर गले लगाये नाला , उमड़ घुमड़ नदी करें मोल |
भानू का अब पता नहीं है , दिन लगे जनु रात अनमोल | 
धान जनु ख़ुशी में लहराये , मक्का खड़ा बजाये ढोल |
गन्ना की अब चढी जवानी , झूम झूम रहर करे गोल |
बन्दर भीग डाल चढ़ डोले , गर्मी का  हँस खोले पोल | 
गगन मगन रह रह कर झाँके , घनों में छुप बनाये बोल | 
मौसम लगे कितना सुहाना , जब झम झम बरसे चहुओर | 
रंग रंग के फूल खिले हैं , घूमने पर करे दिल जोर |  
नभ जल थल सब ही सम लागे , दोपहरी जनु लागे भोर |  

वर्मा सावन है अति पावन , वीर छंद भावे मन मोर |

श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on August 5, 2013 at 12:24pm

आदरणीय ,
सही राय देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार |

सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 3:47pm
चाँद छुप छुपआये गगन में , जनु   चाँदनी छुपे हर ओर ..  प्रथम चरण का वाक्य विन्यास ही गलत है सो गयता को बधित होनी ही है
 
डाली झूम जनु  गुनगुनायें , कोयल भी गाये दिल खोल ..  मात्रा गिनकर पद रच देते हैं क्या भाई ?..  प्रथम चरण को क्या किया है ?
मीन उछल नीर बीच डोले , उड़ खग बोलें मीठे बोल |..   उपरोक्त हाल इस पद के प्रथम चरण का भी है.
सागर गले लगाये नाला , उमड़ घुमड़ नदी करें मोल .. . दूसरे चरण को देखाभाईजी... . !!
भानू का अब पता नहीं है , दिन लगे जनु रात अनमोल ... . दिन  रात की तरह अनमोल ? यह् कुछ स्पष्ट नहीं हुआ
आगे के पदों को इसी तरह देख लीजिए भाई जी.

एक बात आपके अवश्य जानने की है कि किसी मात्रिक पद के चरणों में द्विकल त्रिकल चौकल आदिशब्दों का सधा हुआ प्रयोग

होता है तब चरण और तनुरूप पद की कुल मात्रा गिनी जाती है.  यही पद्य व्यवहार है. 

शुभच्छाएँ
Comment by अरुन 'अनन्त' on July 30, 2013 at 12:16pm

आदरणीय श्याम जी वीर छंद पर प्रयास हेतु बधाई स्वीकारें किन्तु रचना में अभी बहुत कसावट की कमी है प्रवाह भी बाधित हो रहा है.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 28, 2013 at 8:07pm

सावेन के मौसम पर रची सुन्दर रचना के लिए बधाई श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 28, 2013 at 1:50am

सुंदर रचना प्रस्तुति पर , हार्दिक बधाई ,आदरणीय श्याम नारायण जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service