For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोस्त बहुत हैं मेरे पर सबसे बात नहीं होती

दोस्त बहुत हैं मेरे पर सबसे बात नहीं होती
याद है वो पल जब सब साथ रहते थे
पर अब मुलाकात नहीं होती ..
दोस्त बहुत हैं मेरे पर सबसे बात नहीं होती

ये शिकायत नहीं सिर्फ हाल है..
कुछ जिंदगी भर साथ रहने का इरादा बनाते थे
हम सब ये करेंगे, हम सब वो करेंगे..जाने क्या क्या बताते थे..
कुछ ऐसे हैं जी लिखचीत को समझते हैं यारी
कभी लगती ये आदत उनकी कभी लगती बीमारी
कोई कभी मिल जाते हैं रस्ते में
मुस्कुराकर छूट जाते हैं सस्ते में
मिलते हैं कुछ जब जमती हैं महफ़िल कोई
कई राज़ खुलते हैं दिल के उधर
जब खुलती है बोतल कोई
कुछ रहते हैं ऐसे जैसे जंग हो कोई
तन्हाई महसूस होती उन्हें जब मेरे संग हो कोई
कोई समझाए बावरों को
के यारी में कभी मात नहीं होती
दोस्त बहुत हैं मेरे पर सबसे बात नहीं होती

कुछ बड़े व्यस्त हैं कामों में
दिन तो छोड़ो वक्त नहीं उन्हें शामों में
पुरानी यादों को छोड़ते रहते हैं
कुछ नयी कहानी जोड़ते रहते हैं
इसी तरह उनके वास्ते बदल गए
मंजिल बदल गयी तो रास्ते बदल गये
कुछ हैं जो हरदम हमारा मन टटोलते रहते हैं
शिकवे हैं बहुत पर जुबाँ से कुछ न कहते हैं
कुछ कुर्सियां खाली रहती हैं उस कमरे मैं अभी
अब वैसा शोर नहीं होता उधर
उतना नहीं चहकता अब में
पहले की तरह नहीं बहकता अब में
अब कोई मुझे मेरी गलतियाँ नहीं गिनाता
कुछ नयी सी बातें हैं सबकी
कुछ नया सा है नाता
अब पहले की तरह जल्दी दिन नहीं उगता
और देर से रात नहीं होती
दोस्त बहुत हैं मेरे पर सबसे बात नहीं होती

अब वो बेबात का समय नहीं गुज़रता
जब हम बातों से नज़ारे दिखा दिया करते थे
ख्वाबों के कुछ परिंदे उड़ा लिया करते थे
हवा में शबाबों के चहरे बना लिया करते थे
अब वो बेबात का समय नहीं गुज़रता
जब कोई मुद्दा ज़रूरी नहीं था बहस वाजी के लिए
जब सोच कम और जुबान ज्यादा काम करती थी
जब साथ चलते चलते पैर नहीं थकते थे
जब जेब में पड़े वो चिल्लर भी बहुत काम देते थे
जब जेब खाली रहकर भी हाथ खाली न रहते थे
अब वो बेबात का समय नहीं गुज़रता
जब झूठ मूठ के किस्से बनाये जाते थे
छोटी सी चीज के भी हिस्से बनाये जाते थे
जब साथ वाली के किस्से जोर पे रहते थे
जब नाम मेरा वो चिल्ला के कहते थे
जाने क्यों अब ऐसी खुरापात नहीं होती
दोस्त बहुत हैं मेरे पर सबसे बात नहीं होती

Views: 398

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bhasker Agrawal on December 16, 2010 at 6:55am

धन्यवाद लता जी

Comment by Lata R.Ojha on December 13, 2010 at 3:08pm

दोस्तों के साथ गुज़ारा वक़्त अक्सर याद तो आता ही है,उस वक़्त मन में जो विचारों की आँधी और समय के कारण हुए परिवर्तन से  जो टीस उठती है उसको बखूबी शब्द  दिया है आपने .. 

Comment by Bhasker Agrawal on December 11, 2010 at 6:24pm

धन्यवाद रवि जी
धन्यवाद अनिता जी

Comment by Rash Bihari Ravi on December 11, 2010 at 5:45pm

bahut badhia man bhawan

Comment by Anita Maurya on December 11, 2010 at 4:28pm

बहुत खूबसूरती से पेश किया है आपने बचपन की यादों को ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service