For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंजिल को पाने की चाह में

मंजिल को पाने की चाह में

इस कदर हम खो गए

मंजिल मिली मगर

तन्हा हम हो गए

 

रास्ते चलते रहे

फांसले बढ़ते गए

 

छूटते इस साथ को

हमने कभी चाहा था बहुत

 

वो हमारे थे मगर

अब किसी और के हो गए

 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 10, 2013 at 8:03pm

सुन्दर अभिव्यक्ति.

Comment by D P Mathur on July 4, 2013 at 8:14am

मंजिल को पाने की चाह में
इस कदर हम खो गए
मंजिल मिली मगर
तन्हा हम हो गए
आदरणीया प्रज्ञा जी , सुन्दर रचना की बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 3, 2013 at 9:09pm

मन से निकले सहज भाव, अति सुंदर...........

Comment by Sumit Naithani on July 3, 2013 at 2:39pm

सुंदर पंक्तियाँ 

Comment by Admin on July 3, 2013 at 10:05am

//शायद ये पंक्तियाँ कही पढ़ी है मैंने आदरणीया प्रज्ञा जी //

श्री राम शिरोमणि जी, कृपया अपने कथ्य के समर्थन में प्रसंग का उल्लेख करें, प्रसंग न होने की स्थिति में इस तरह की बातें न लिखें, आप जानते हैं कि ओ बी ओ पर केवल "मौलिक व अप्रकाशित" रचना ही स्वीकार्य है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 3, 2013 at 9:54am

Pragya ji ये लग रहा है कि जज़्बात दिल से निकले, शब्दों का रूप लिया, ग़ज़ल बन गयी.  अच्छी कोशिश,  keep going and improve yourself, all the best. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 3, 2013 at 9:48am

आदरणीय पाठक जी, ये भी बताने का कष्ट करें कि कहाँ पढ़ी है बुरा ना मानिए ये ओपन मंच है यहाँ इस तरह  की टिप्पणी आप करते है तो आपके पास रेफरेन्स भी होना चाहिए, पाठकजी  इस तरह बीच मे बोलने के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ, रहा नही गया इसलिए बोल रहा हूँ. 

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 3, 2013 at 7:36am

सुंदर रचना के लिए बधाई .....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 3, 2013 at 2:25am
"रास्ते चलते रहे

फांसलेबढ़ते गए

छूटते इस साथ को

हमने कभी चाहा था बहुत

वो हमारेथे मगर

अब किसी और के हो गए"........आदरणीया..प्रग्या जी, सुंदर व भावना से ओत प्रोत मर्मस्पर्शी रचना के लिए बधाई वशुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service