For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हार जीत का खेल अजब है , यारों निराश ना होना |
मेहनत से कभी  ना डरना ,  देखो  साहस ना खोना | 
बिना पसीना खेती ना हो ,  फिर बदले मौसम का रोना | 
बिना पसीना खेती ना हो ,  खराब  मौसम का रोना | 
अगर हाथ पाँव ना चलाओ , भूखे ही पडेगा सोना |
भाग्य सहारे सोच रहोगे , अपने ही पछताओगे | 
बबूल का जब झाड लगाया ,  आम कहाँ से पाओगे | 
नदी में तैरना ना आये , पार कहाँ से जाओगे |
खेत में कुछ बोया ही नही , फसल देख पछताओगे |
कोई पौधा अगर लगाया , कोई पशु चर सकता है |
कब तक रहो वर्षा सहारे , जल की आवश्यकता है |
काम आसान हो जाता है , जब कोई कर सकता है |
दिन पर दिन टाला ही जाये , फिर पहाड़ सा लगता है |
मंजिल की अगर जब चाह हो , मेहनत लगन जरूरी है |
जब चाह हो पर लगन ना हो , दूर  मंजिल अधूरी है |
सब को मंजिल की चाहत है , पर  मिलना मजबूरी है |
वर्मा बिना मेहनत  के भैया , देख ! इच्छा ना पूरी है |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 830

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 7, 2013 at 6:17am

भावाभिव्यक्ति हेतु बधाइयाँ, श्याम नारायण जी.

इस भाव-भिव्यक्ति को और सुगढ़ रचना करने का प्रयास उचित होगा. आपकी कई रचनाएँ मंच पर प्रस्तुत हो चुकी हैं. आप रचनाकर्म के प्रति सचेष्ठ हों. 

शुभेच्छाएँ

Comment by बृजेश नीरज on June 6, 2013 at 11:28pm

आदरणीय आपका प्रयास अच्छा है। आपको बधाई!
रचना पोस्ट करते समय यदि विधा का उल्लेख कर दिया करें तो पाठक के लिए अच्छा होगा।
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 6, 2013 at 10:08am
आदरणीय श्याम जी, आपने अपनी पंक्तियों मे "मेहनत "के बारे मे सही कहा है.. "बबूल का जब झाड़ लगाया आम कहाँ से पाओगे, नदी मे तैरना ना आये पार कहां से जाओगे "..काम आसान हो जाता है जब कोई कर सकता है, दिन पर दिन टाला जाये फिर पहाड़ सा लगता है "...हार्दिक बधाईयां स्वीकार करें आदरणीय...
Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 6, 2013 at 9:53am

श्याम नारायण जी सुन्दर भावों को संजोये हुए अद्भुत रचना के लिए बहुत बधाई किन्तु अनेक शैल्पिक त्रुटियाँ हैं किसी वरिष्ठ को रचना लिख कर दिखा लिया जाना अपेक्षित है 

Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 9:45am
वाह,सच कहा मेहनत के बिना आदमी कुछ भी हासिल नहीँ कर सकता,बधाई आदरणीय श्याम जी!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
22 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service