For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : इश्क जब इम्तेहान लेता है

मिसरों का वज़्न : २१२२ १२१२ २२ (११२२ १२१२ २२ की छूट ली जा सकती है)

---------------------------------------- 

अच्छे अच्छों की जान लेता है

इश्क जब इम्तेहान लेता है

 

बात सबकी जो मान लेता है

छोड़ सबकुछ मसान लेता है

 

वही जीता है इस नगर में जो

बेचकर घर दुकान लेता है

 

फन वो देता है जिसको भी सच्चा

पहले उसका गुमान लेता है

 

ये निशानी है खोखलेपन की

खुद को खुद ही बखान लेता है

 

जब भी लगता है रोग पैसों का

सबसे पहले थकान लेता है

---------------------------------------

(स्वरचित एवं अप्रकाशित)

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 12, 2013 at 1:56pm

आए हाए सर जी वाह वाह वाह
क्या ही सुंदर ग़ज़ल कही है छोटी बहर में
लाजवाब
बहुत बहुत दाद कुबूलें
जय हो

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 12, 2013 at 1:40pm
आदरणीय धर्मेंद्र सर जी! बहुत ही अच्छी गजल है, बधाई।इन पंक्ति के खास तौर से-
ये निशानी है खोखलेपन की
खुद को खुद ही बखान लेता है
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 12, 2013 at 11:51am

आ0 धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, बहुत ही सुन्दर गजल। गजल मुझे अच्छी लगती है किन्तु अभी सीख रहा हूं। ‘‘बात सबकी जो मान लेता है
छोड़ सबकुछ मसान लेता है‘‘ जी सर , मैं भी ’शिव शंभू को ही समझ रहा हूं। जिन्होने विश्व का ऐश तज कर शमसान की शरण मे रहे’ अगर कुछ और अर्थ है तो- आ0 धर्मेन्द्र जी स्पष्ट करना चाहें। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 12, 2013 at 8:51am

//अच्छे अच्छों की जान लेता है

इश्क जब इम्तेहान लेता है//

वाह वाह, बहुत ही खुबसूरत मतला, 

 

//बात सबकी जो मान लेता है

छोड़ सबकुछ मसान लेता है//

बहुत प्रयास किया पर इस शेर को मैं नहीं समझ सका । मैं मसान को समसान समझ सोच रहा हूँ ।

 

//वही जीता है इस नगर में जो

बेचकर घर दुकान लेता है//

क्या बात है, बहुत ही उम्दा ख्याल है, दुकान कायम रहे बस, मकान कई बन जायेंगे, अच्छा शेर । 

 

//फन वो देता है जिसको भी सच्चा

पहले उसका गुमान लेता है//

एकदम से यह शेर हिट कर रहा है, फ़नकार में यदि गुमान शेष है तो फिर फ़नकार कैसा ! बढ़िया शेर । 

 

//ठीक ये निशानी है खोखलेपन की

खुद को खुद ही बखान लेता है//

यह भी शेर बढ़िया है, पोल को ढ़कने के लिए ढोल को आवरण में कैद होना पड़ता है । 

 

//जब भी लगता है रोग पैसों का

सबसे पहले थकान लेता है//

दो जून की रोटी के लिए पैसा कमाना भी कईयों को थका देता है ।

इस खुबसूरत ग़ज़ल पर ढेरों दाद कुबूल हो ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service