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क्या जीवन है/हाइकू (प्रयास)

बालू का स्थल
जालाभास रश्मि से
तपती प्यास
------------------

प्रीति सुमन
नागफनी का बाग
व्यर्थ खोजना
------------------

तृप्ति कामना
घी दहकाए ज्वाला
पूर्ति आहुति
-------------------

जीवन यात्रा
हर क्षण रहस्य
रोना या गाना
-------------------
गन्तव्य कहाँ!
लमकन जारी है
क्या जीवन है?
-विन्दु (मौलिक,अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Vindu Babu on April 5, 2013 at 4:24pm
आदरणीय अरूण महोदय आपका मेरे ब्लाग पर कोटिश: स्वागत है।
आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए अत्यन्त उत्साहवर्धक है।
प्रयास आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से सार्थक हुआ।
हार्दिक आभार!
सादर
Comment by Vindu Babu on April 5, 2013 at 4:23pm
आदरणीय अरूण महोदय आपका मेरे ब्लाग पर कोटिश: स्वागत है।
आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए अत्यन्त उत्साहवर्धक है।
प्रयास आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया से सार्थक हुआ।
हार्दिक आभार!
सादर
Comment by Vindu Babu on April 5, 2013 at 4:16pm
आदरणीय केवल प्रसाद जी,आदरणी निकोर सरजी,आदरणीय रामशिरोमणि जी आपने इस सादारण से प्रयास को सराहा इसके लिए आपको सहृदय आभार।
आशा है आगे भी आप सुधीजनो का स्नेह मिलता रहेगा।
सादर!
Comment by अरुन 'अनन्त' on April 5, 2013 at 3:37pm

आदरेया वंदना जी सादर पहली बार आपकी रचना पढ़ रहा हूँ बहुत ही सुन्दर हाइकू प्रस्तुत किये हैं आपने साथ ही शब्दों का चयन तथा भाव भी खुल कर अपना प्रणाम दे रहे हैं. आप बधाई की पात्र हैं मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 5, 2013 at 11:51am

आदरणीया, वंदना तिवारी  जी!

गन्तव्य कहाँ!
लमकन जारी है
क्या जीवन है?. वाह, वाह ! ...  बहुत अच्छा लगा।बहुत-बहुत वधाई स्वीकारें।

Comment by vijay nikore on April 5, 2013 at 10:38am

विन्दु जी:

 

//प्रीति सुमन
  नागफनी का बाग
  व्यर्थ खोजना//    ..... वाह, वाह ! ...  बहुत अच्छा लगा।

 

सादर,

विजय निकोर

 

 

 

 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 5, 2013 at 9:05am

आदरणीया, वंदना तिवारी‘विन्दु‘ जी, सुप्रभात! ‘प्रीति सुमन
नागफनी का बाग
व्यर्थ खोजना!‘ अतिसुन्दर हाईकू, बहुत-बहुत वधाई स्वीकारें।

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