For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उद्विग्न चित्त
पहचान है
असिद्ध बुद्धि की।
आता कहाँ उबाल
सिद्ध दल में
बटलोई की।
स्वरूप में ही
स्थिति होना
है स्वस्थ होना।
निज मान,अपमान
आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्या देना।
चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।
-विन्दु
(मौलिक,अप्रकाशित)

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on April 28, 2013 at 3:49pm
आदरणीय कुशवाहा महोदय आपको मेरा हृदयातल से सादर आभार।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 2:31pm

चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।

यही वास्तविक ज्ञान है. 

सुन्दर अभिव्यक्ति हेतु सादर बधाई स्वीकारें, आदरणीया वन्दना जी , सादर 

Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 10:55am
आदरणीय रक्ताले महोदय आपने रचना पर अपनी प्रतिक्रिया देकर रचना का महत्व बढाया है।
आपका बहुत आभार
सादर
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 18, 2013 at 8:11am

आदरणीया वन्दना तिवारी जी सादर, सही है आनंद की अनुभूति हमारे अंतर्मन से ही आती है. फिर कहीं ओर खोजने की क्या आवश्यकता. सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें.

Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 7:46am
आदरणीय केवल प्रसाद जी आप की टिप्पणी हमारा उत्साहवर्धन करती है।
सादर आभार।
Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 7:44am
सन्दीप पटेल जी रचना की सराहना कर प्रतिक्रिया देने के लिए आपका बहुत आभार।
Comment by Vindu Babu on April 18, 2013 at 7:41am
आदरणीय रामशिरोमणि जी आपने रचना का अवलोकन किया इसके लिए आपका सादर धन्यवाद।
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2013 at 6:26pm

आदरणीया वंदना तिवारी जी,
'चिरानन्द है
’स्वयं’ में
बस है पहचानना।’ अतिसुन्दर रचना । बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 17, 2013 at 5:16pm
आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्या देना।
चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।

बहुत सुन्दर बात बताई आपने इस रचना के माध्यम से आदरणीया सादर बधाई स्वीकारें
Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:11pm

निज मान,अपमान
आनन्द की चाबी
औरों के हाथ
क्या देना।
चिरानन्द है
'स्वयं' में
बस है पहचानना।////////आदरणीया वन्दना जी सही कहा आपने सुन्दर कथ्य  !हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
9 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service