ऐ प्रकृति,सूक्ष्म आत्मा तुम रहती हो मुझमे
मैं गेह मात्र हूँ,तुम ही इसकी सत वासी
नश्वर अस्तित्व हमारा मिलने दो खुद में;
बन जाने दो मुझे अलौकिक दैवी राशी।
मन तुझे दिया,अपने मन का तुम पथ गढ़ना
सभी समर्पित इच्छाएं,ये तेरी हो जावें
पीछे कोई अंश हमारा नहीं छोड़ना
अद्भुत,नीरव सा मिलन हमारा हो जावे।
तेरा प्रेम,जग-प्राण,मेरा उर उसी संग
स्पन्दित होगा,और मेद, मेदनी हित।
नसों शिराओं में होगी…
ContinueAdded by Vindu Babu on May 27, 2014 at 11:00pm — 16 Comments
निष्प्राण कभी लगता
जीवन
निर्मम समय-प्रहारों से
सूख-बिखरते,बू खोते
सुरभित पुष्प अतीत के.
निश्चेत 'आज' भी होता
भावी शीतल-शुष्क
हवाओं की आहट पाने को.
फिर भी कुछ अंश
जिजीविषा के रहते
गतिमान रखें जो तन को
निरा यंत्र-सा.
जो हेतु बने
दाव,हवन,होलिका के
या अस्तित्व मिटाती
झंझावर्तों में
चिनगारी...
वही एक नन्हीं सी.
द्युतिमान रहूँ मैं भी
हों तूफान,थपेड़े
या…
Added by Vindu Babu on April 30, 2014 at 10:30pm — 30 Comments
तेरे फड़फड़ाते पंखों की छुअन से
ऐ परिंदे!
हिलोर आ जाती है
स्थिर,अमूर्त सैलाब में
और...
छलक जाता है
चर्म-चक्षुओं के किनारों से
अनायास ही कुछ नीर.
हवा दे जाते हैं कभी
ये पर तुम्हारे
आनन्द के उत्साह-रंजित
ओजमय अंगार को,
उतर आती है
मद्धम सी चमक अधरोष्ठ तक,
अमृत की तरह.
विखरते हैं जब
सम्वेदना के सुकोमल फूल से पराग,
तेरे आ बैठने…
ContinueAdded by Vindu Babu on February 9, 2014 at 2:00pm — 32 Comments
एक मासूम...
तल्लीनता से जोर-जोर पढ़ रहा था
क-कमल,ख-खरगोश,ग-गणेश।
शिक्षक ने टोका
ग-गणेश! किसने बताया?
बाबा ने...
माँ और पिता को सब कुछ माना
तभी तो सबसे बड़े देव हुए।
नहीं,गणेश नहीं कहते
संप्रदायिकता फैलेगी
जिसे तुम समझो झगड़ा. .विवाद
ग-गधा कहो बेटे।
आस्था भोली थी
बाबा के गणेश,मसीहा और अल्लाह से रेंग
'गधे' में शांति खोजने…
ContinueAdded by Vindu Babu on February 2, 2014 at 4:50am — 17 Comments
सादर वन्दे वन्दनीय सुधी वृन्द।
महानुभावों सर्वज्ञात है, गत 5 दिसम्बर को महर्षि अरविन्द का निर्वाण दिवस था। आपका साहित्य(सावित्री अभी छू भी नहींसकी),मेरे हृदय को बहुत सहलाता है।यद्यपि इस महान दार्शनिक,कवि और योगी के साहित्य की अध्यात्मिक ऊंचाई के दर्शन करने में भी समर्थ नहीं हूँ फिर भी सूरज को दिया दिखाने जैसा कार्य किया है,जो आपको निवेदित है।सादर निवेदन है कि मुझे जरुर अवगत कराएँ की मेरी समझ कहाँ तक सफल हो पाई…
ContinueAdded by Vindu Babu on December 11, 2013 at 8:11am — 20 Comments
Added by Vindu Babu on December 4, 2013 at 12:30pm — 30 Comments
भंवरों ने घेरा
पहुंचाया अवसादों की गर्तो में
संयोग बड़ ही सुखकर थे जिनके
उनके ही वियोग भुजंग बने,लगे डसने
कौन शक्ति? जो हर क्षण
अपनी ही ओर हमें है खींच रही
कल से खींचा,आज छुड़ाया
जो आयेगा वो भी छुटेगा
नश्वरता में इक दिन जीवन ही डूबेगा
क्षणभंगुरता से हो विकल हृदय
साश्वत खोज में जब भी तड़फा है
मोहवार्तों ने आलिंगन कर
जिज्ञासु तड़फ को मोड़ा है।
खार उदधि की हर विंदु…
ContinueAdded by Vindu Babu on November 23, 2013 at 10:30am — 20 Comments
जन्माष्टी के उपलक्ष में निवेदित रचना-
विमुग्ध हो फूल का रसपान कर
ज्यों त्यागते हों भ्रमर !
भाँति तेरे कृष्ण भी,
बंशी सुनाते,
चुरा कर चित्त कुब्जा में रमें
छोड़ दी मेरी खबर ।
पीत पर लहराता है तू भी,
निज मित्र के पट पीत सम,
तू भी काला श्याम सा
कपटी कुचाली प्रीति डोरी तोड़ पल में
मन रिझाता है ।
भृंग की भनक संदेश है क्या?
पर...
गोपियां सुनतीं व्यथा कह उससे,
द्वन्द्व, मन का घटातीं,
प्रेम जो…
Added by Vindu Babu on August 24, 2013 at 6:30pm — 5 Comments
Added by Vindu Babu on August 17, 2013 at 9:27am — 17 Comments
Added by Vindu Babu on August 9, 2013 at 8:58am — 20 Comments
एक प्रयास
(बहर- 2122 2122 2122)
लक्ष्य क्या जो खोजते हम दौड़ते हैं।
है कहाँ ये आज तक ना जानते हैं।।
ढूंढ साधन,साधने को लक्ष्य सोंचा,
ना सधा ये,सब 'स्व' को ही रौंदते हैं।
जग छलावे में भटकते इस तरह हम,
शांति के हित शांति खोते भासते हैं ।
*समर्पण हो पूर्ण,या लब सीं लिए हों,
क्या शिला भी प्रेम को पा सीलते हैं?
ना पहुंचू पर मुझे हो भान तो वह,
तब बढेंगे, आज तो बस खोजते हैं ।।
*संशोधित …
Added by Vindu Babu on July 18, 2013 at 5:00am — 22 Comments
Added by Vindu Babu on May 27, 2013 at 8:10am — 14 Comments
Added by Vindu Babu on April 26, 2013 at 11:03am — 17 Comments
Added by Vindu Babu on April 16, 2013 at 11:24pm — 10 Comments
Added by Vindu Babu on April 4, 2013 at 11:54pm — 17 Comments
Added by Vindu Babu on March 23, 2013 at 11:11pm — 8 Comments
Added by Vindu Babu on March 21, 2013 at 10:13pm — 12 Comments
Added by Vindu Babu on March 11, 2013 at 6:27pm — 9 Comments
Added by Vindu Babu on February 21, 2013 at 6:11am — 17 Comments
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