For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लीलामयी श्रीकृष्ण-लक्ष्मण लडीवाला

हे प्रातः स्मरणीय श्री कृष्ण,

तेरा जीवन भी है जैसे-

एक पहेली |

तेरे कृत्य को-

तेरे दृश्य को -

तेरे सन्देश को,

महान दार्शनिक -

भी आज तक 

समझने की कौशिश 

ही तो करते रहे है |

 

माँ यशोदा को, मुहं में- 

मिटटी दिखाने की जगह 

ब्रह्माण्ड दिखा दिया,

सुदामा को, दोमुट्ठी तंदुल खाकर- 

दो लोक का स्वामी बना दिया |

देवो के देव महादेव तक को-

अपने साथ गोपी बन-

नृत्य करने का सुखद 

सोपान दे दिया | 

भरी सभा में असहाय से-

भीष्म पितामह, गुरु द्रौण और-

विदुर थे मूक दर्शक से, 

जब पुकारा द्रौपदी ने-

बचाया उसे चीर हरण से|

स्वजनों से युद्ध करने से 

मना करने पर, अर्जुन को-

ब्रह्मांड दिखलाया अपने मुख में,

और, गीता का सन्देश  दे-

कर्म ही प्रधान बताया जीवन में|

अर्जुन को दिए गीता के सन्देश से- 

समूचे विश्व को सदा सदा के लिए 

अनुपम उपदेश देकर,

भारत को विश्व गुरु, और -

स्वयं को कृष्णं वन्दे जगतगुरु,

के रूप में स्थापित कर दिया |

गोपियों का माखन खाकर,

उनके स्नान करते कपडे चुराकर,

नटखट कन्हैया कहलाये । 

पानी लाते गगरी फोड़कर,

उनके साथ होली खेलते-

चोली भिगोकर,

अपनी चंचल छवि दिखा,

सबके  मन को भाये । 

उन्हें मन्त्र मुग्ध कर-

जनम सफल कर दिया |

 

कालिदेह में जहरीले नाग को,

और, आपको मारने- 

कंस द्वारा भेजी पूतना को-

जहर लगे स्तन से-

दुग्धपान कराने पर, 

उनका उद्धार कर दिया |

राधा को अपनी बांसुरी से,

सौलह हजार रानियों को,

सह्रदयता से, आल्हादित किया | 

उद्धव के ज्ञान के गर्व का-

गाँव के गोपियों के हाथो; और-

पांड्वो की वीरता के गर्व को-

जंगल में भीलों के हाथो 

मान मर्दन कर, घमंड हर-

अहसास करा दिया | 

 

और तो और,कलियुग में भी-

आपके प्रेम में मगन-

मीरा के लिए स्वयं ने 

जहर पान कर लिया,

वही गरीब नरसी मेहता 

का मायरा भरने आकर

उन्हें तो उपकृत किया ही,

सभी भक्तो में पुनः भाव 

भर दिया | 

 

धन्य है हे श्रीकृष्ण योगेश्वर!

अद्भुद है आपके जीवन की झांकी,

तेरे कृत्य को, तेरे उपदेश को,

तेरे मन के भाव को, 

बिना तेरी भक्ति भाव के,

समझ सकता नही कोई,

बड़े बड़े ग्यानी ध्यानी,

दार्शनिक भी नहीं | 

_

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2013 at 9:28pm

भगवान् श्री कृष्ण तो सभी सह्रदयी सुधि भक्तो पर सदैव अपार कृपा बरसाते है | निश्चित ही वे परम सुख के सागर है 

रचना पर सापेक्ष टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 3, 2013 at 10:22am

सही कहाँ आपने श्री ब्रिजेश सिंह जी, जगदगुरु श्री कृष्ण द्वारा दिए गए गीता में उपदेश धर्म ग्रन्थ नहीं वरन 

समस्त संसार के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जीने अनुसरण से विश्व का कल्यांग हो सकता है | उनकी जीवन झांकी 

में समस्त  प्राणी मात्र को कुछ न कुछ प्रभिवित् करने को मिलता है | उनकी अद्भुत लीलाओं से आजभी मन

मस्तिष्क में नृत्य के भाव सहज ही आते है और गोपियों की तरह मन मयूर नाच उठ्ता है | रचना को पसंद

कर रचना का मान बढ़ने के लिए आपकर हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2013 at 9:56pm

लीलामयी भगवान श्री कृष्ण पर रचित रचना पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री राम शिरोमणि जी 

Comment by बृजेश नीरज on April 2, 2013 at 9:47pm

श्रीकृष्ण ही ऐसे देव हैं जिन्होंने कर्म की प्रधानता को स्थापित किया। जहां उनके जीवन दर्शन में चमत्कार देखने को मिलते हैं वहीं साधारण मनुष्य सा प्रेम भी। उनके चमत्कार, उनका रास, उनका राक्षस वध सब कर्म की ओट में आकर्षित करता है चमत्कृत नहीं। तभी उनका गीता ज्ञान किसी धर्म विशेष का धर्म ग्रन्थ नहीं वरन समस्त विश्व के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
जय श्रीकृष्ण!

Comment by ram shiromani pathak on April 2, 2013 at 9:47pm

आदरणीय लक्ष्मण सर भगवान श्री कृष्ण जी के जीवन की झांकी की उम्दा चित्रण किया है आपने ....
हार्दिक बधाई

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 6:02pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी, भगवान् श्री कृष्ण के जीवन चरित्र को उनकी लीलाओं के माध्यम से 

भी समझ पाना आसान नहीं है | उनकी दार्शनिक, आध्यात्मिक झांकी के दर्शन करने हेतु बड़े बड़े विद्वानों ने बहुत 

कुछ लिखा है | उनपर सूरदास जी, रसखान जी जैसे माहा कवियों से लेकर राष्ट्र कवी रामधारी सिंह दिनकर ने 

याधोधरा मह्काव्य लिख दिया | उनकी लीलाओं के कुछ बिंदु बताने की मेरी कौशिश मात्र है | सादर 

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 5:53pm

भगवान श्री कृष्ण जी के जीवन की झांकी प्रस्तुत करने के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
18 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
19 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
19 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service