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लघु कथा :- कुत्ते की दुम / गणेश जी बागी

दारोगा बाबू का स्थानांतरण शहर से दूर एक छोटे थाने में कर दिया गया था । काफी शिकायतें आयीं थी, कि बगैर घूस लिए काम ही नहीं करते थे । नया क्षेत्र बहुत ही शांत था। थाने में कोई केस नहीं । सभी सिपाही, हवलदार, दिन भर मानों समय काटते । जैसे तैसे एक महिना निकल गया, 'बोहनी’ तक नसीब नहीं हुई थी । 

"राम सिंह, जरा इधर तो आओं"
"जी सर", राम सिंह सिपाही दौड़ते हुए आया । 
"इस थाने में कब से हो ?" 
"जी तीन साल हो गये ।"
"प्राथमिकी सूचना पुस्तिका (FIR रजिस्टर) लगभग खाली है, क्या आप लोग प्राथमिकी दर्ज नहीं करते ?" 
"नहीं सर, ऐसी बात नहीं है, दरअसल इधर सभी साधारण किसान और छोटे दुकानदार रहतें हैं, सभी शान्ति पूर्वक कमाने-खाने में लगे हुयें हैं । बहुत ही शांत एरिया है सर, कोई मामला ही नहीं आता इसलिए केस दर्ज करने की कोई जरुरत ही नहीं पड़ती ।" 
"अच्छा, यह बताओं, क्षेत्र में अवैध शराब के कितने ठिकाने हैं ?"
"एक भी नहीं सर"
"और जुआ अड्डा ?"
"वो भी नहीं.."
"नामजद चोर उचक्का ?"
"एक भी नहीं सर"
"अरे, कुछ तो गड़बड़ी ..."
"नहीं सर कोई गड़बड़ी नहीं है", राम सिंह ने धीरे से कहा ।
दारोगा बाबू बहुत देर तक सोचते रहे, फिर बोल पड़े, "राम सिंह जाओं पता करों, क्षेत्र में इस सप्ताह कितने लड़कों की शादी है ?" 
"जी सर.."
राम सिंह कुछ घंटों के बाद आया और चार लड़कों की सूची दरोगा बाबू को पकड़ा दिया।
"ऐसा करो राम सिंह पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड चेक कर बताओं क्या इन चारों में से किसी पर कोई केस दर्ज हुआ था.."

"जी सर अभी देखता हूँ "
"सर. यह देखिये इनमे से एक पर दो साल पहले मार पीट करने की प्राथमिकी दर्ज हैं जिसमे आपसी सुलह से मामला निपटा दिया गया था " 
"सुलह गया तेल लेने", दरोगा बाबू मेज पर मुट्ठी ठोकते हुए बोले .."कब इसकी शादी है ?" 
"परसों है सर"
"ठीक है, कल शाम में इसे उठा लाना, शादी की बात है इज्जत बचाने के लिये तो आराम से इसका बाप जेब ढीला करेगा..."
  • समाप्त
 

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Comment by Ashok Kumar Raktale on March 6, 2013 at 11:44pm

आदरणीय बागी जी सादर प्रणाम, बहुत सुन्दर लघु कथा, यदि आप शीर्षक नहीं भी लिखते तो पढ़ने वाले के मुख से यही निकलता.हार्दिक बधाई स्वीकारें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 20, 2013 at 5:09pm

उत्साहवर्धन हेतु आभार आदरणीया रेखा जोशी जी ।

Comment by Rekha Joshi on February 17, 2013 at 7:23pm

सार्थक लघु कथा ,बधाई आ बागी जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 1:15pm

सहमत हूँ आदरणीय अभिनव अरुण जी, हम कलम के सिपाही अपना काम सकारात्मक सोच के साथ करते रहे, एक न एक दिन प्रभाव पड़ेगा ही, उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से कोटिश: आभार स्वीकार करें ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 16, 2013 at 1:12pm

सराहना हेतु आभार आदरणीया आरती शर्मा जी ।

Comment by Abhinav Arun on February 16, 2013 at 8:11am

जी ऐसा ही होता और जब होता है तो दिल क्षोभ से भर जाता है । हम कलम के सिपाही चाह कर भी कुछ ऐसा नहीं कर पाते जिसका सीधा सीधा असर दिखे । ऐसी रचनाये पढ़कर यदि एक व्यक्ति का भी ज़मीर जागे तो सोचिये सार्थक हुआ । सशक्त लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई श्री बागी जी !!

Comment by Aarti Sharma on February 15, 2013 at 7:01pm

बहुत खूब सर.वर्तमान की सुन्दर अभिव्यक्ति ...बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2013 at 6:18pm

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, आपका आशीर्वाद प्राप्त हुआ, मैं धन्य हुआ , आभार आपका ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2013 at 6:16pm

आदरणीय भ्रमर जी , लेखक वही लिखता है जो देखता है, आपको लघुकथा अच्छी लगी मेरा प्रयास सफल हुआ, ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ ।

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 15, 2013 at 5:27pm

असंत न छोडें असंतही कोटिक मिलें जो संत 

सुन्दर लघु कथा है बनी तोडो उनके दन्त 

तोडो उनके दन्त हैं वो बड़े जघन्य अपराधी 

पनपे न ऐसे तत्व सजा ऐसी दो उनको 

सौ हाथ गढ़हे में दें उन्हें समाधि 

बधाई 

आदरणीय बागी जी, सादर 

ऐसा ही  हो रहा है. 

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