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इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"

इक प्रयोग "पञ्च चामर ग़ज़ल"

बुरा न बोलिए उसे अगर कठिन गुजर हुआ
सिवाय वक़्त के बता न कौन हमसफ़र हुआ

तलाशते रहा जिसे रखे मिलन कि तिश्नगी
सुनी नहीं सदा अजीज यार बे-खबर हुआ

बदल नहीं सके उसे कहा सनम जिसे कभी
सनम रहा सनम बने न प्यार का असर हुआ

बढीं तमाम गर्दिशें चली हवा गुमान की
बुझा चिराग प्यार का निजाम बेअसर हुआ

गुरूर जिस्म पे कभी न कीजिये हुजूर यूँ
उसूल सुन हयात का मनुज नहीं अमर हुआ

न राह दिख रही मुझे न "दीप" मंजिलें दिखीं
मगर रुके न आज तक तलाश ही सफ़र हुआ


 संदीप पटेल "दीप"

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Comment by charnjit mann on February 13, 2013 at 5:45am

is ki behr yeh banti hai- mafaa'ilun*4(1212)

Comment by mrs manjari pandey on February 12, 2013 at 12:22pm

संदीप जी पञ्च चामर ग़ज़ल का प्रयोग पसंद आया। धन्यवाद आपको

Comment by भावना तिवारी on February 11, 2013 at 10:10am

बढीं तमाम गर्दिशें चली हवा गुमान की
बुझा चिराग प्यार का निजाम बेअसर हुआ ..........waah ...asardaar.....badhaai ...!!

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 6:35pm

आदरणीय गुरुदेव मेरी कहे तथ्य पर सहमती जताने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार
स्नेह, मार्गदर्शन और आशीष यूँ ही बनाये रखिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 8, 2013 at 6:28pm

//जबकि उर्दू बहर मैं हम मात्राएँ गिरा सकते हैं 
छंद और उर्दू बहर में मुझे यही तकनीकी अंतर दीख पड़ता है //

सौ बात की एक बात.. और कितनी सटीक बात ! आपने छंद और ग़ज़ल के मध्य का अंतर स्पष्ट किया है.. आगे पुनः आगे,  भाई संदीप जी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:49pm


आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम 

सच कहा आपने ये बहर हो सकती है यदि हम जिहाफ लें तो मूल बहर से ये बहर मिल सकी सकती है 
किन्तु शायद छंद में जब हम कोई ग़ज़ल बांधते हैं तो मात्राएँ गिराने की छूट नहीं मिलती है 
जबकि उर्दू बहर मैं हम मात्राएँ गिरा सकते हैं 
छंद और उर्दू बहर में मुझे यही तकनीकी अंतर दीख पड़ता है 
अब यदि इसे छंदात्मक दृष्टि से देखें तो ये प्रयोग ही है 
किन्तु इसमें भी मात्राएँ गिराने की छूट नहीं है 
इसीलिए मुझे ये उर्दू बहर से अलग लगी है 
ये तो हुई मेरी छोटी सी सोच 
फिर आपकी इसमें क्या राय है ??? अपने इस शिष्य के लिए अवश्य कहें गुरुदेव आपके कहे अनुसार प्रयत्नशील रहूँगा 
अपना स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:48pm
आदरणीय वीनस सर जी 
आपकी वाहवाही से तो बस पूछिए मत अजब सा सुकून मिलता है ह्रदय को 
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया सहित सादर आभार  
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:48pm
आदरणीय अजय खरे सर जी सादर प्रणाम 
आपसे मिली इस सराहना के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार 
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 8, 2013 at 3:47pm

आदरणीय चरण जीत जी सादर 
ये पञ्च चामर एक छंद है जिसके विधान में हम लघु गुरु मात्राएँ क्रमशः लेते हैं 
आपका बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 8, 2013 at 11:30am

sandeep ji aap badia likhte he kafi deep jakar badhai

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