For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रहार 

दहक उठे अंगारे धरती हुई रक्त से फिर पग पग  लाल 

जूझ पड़े वीर बाँकुरे झुके नहीं हँस  कटा दिए निज भाल
माँ  के लहराते आँचल में कायर  अरि  कंटक नित फंसाते 
धन्य है  भारत वीर भूमि जहाँ  बलिदानी पलकन चुनते जाते 
अरि मर्दन करने को खड़े रहते सीमा  पर प्रहरी  सीना  ताने 
हर बार लड़े  हर बार मिटे  हश्र उनका ये सारी दुनिया जाने
झूठ नही  अपनी धरती सिंचित है सिद्धांत  बुद्ध नेहरु गांधी से 
ख़ामोशी से  मृत्यु बेहतर है लाभ क्या नित मांग उजड़ वाने  से
सोचो न  समझो न अब बढ़ने दो वीरों को रोको न उनके पग 
लहू से मांग सजे शमशीरों की प्यास बुझे सबक ले सारा  जग
 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
10-1-2013    
 
 
 

Views: 348

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 17, 2013 at 5:09pm

सादर धन्यवाद 

आदरणीय अशोक जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 2:10pm

सुन्दर रचना आदरणीय प्रदीप जी.सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:58pm

धन्यवाद 

आदरणीय अनन्त जी 

सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:08pm

आदरणीय कुशवाहा सर प्राची दी ने सही कहा यही समय की मांग है, वीरों को विनम्र श्रधांजलि आपको बधाई

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 3:51pm

आदरणीया प्राची जी,

सादर 

एक छोटा प्रयास किया है. 

आपने सराहा मनोबल बढ़ा. 

धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 3:45pm

सरहद पर वीर सैनिकों के भाल काट दिए जाने पर आपकी विनम्र काव्यांजलि के लिए साधुवाद 

सोचो न  समझो न अब बढ़ने दो वीरों को रोको न उनके पग.....ये पंक्ति बिलकुल समय की मांग है.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service