For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नर्म से अहसास बन लें

हर तरफ हैं रंग कितने 

आओ चुन लें 

 

भाव के मोती बिछे हैं

शब्द के कालीन पर 

प्रीत की सुर लहरियाँ हैं 

आस्था की बीन पर 

 

आओ ना कुछ

नर्म सेअहसास बुन लें 

 

भागते लम्हों की गीली 

गुनगुनी सी रेत पर

अल्पनायें कुछ उकेरें 

मौज के संकेत पर 

 'कल' की खातिर 'आज' से 

हम कुछ शकुन लें 

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on January 31, 2013 at 3:58pm

आदरणीय विजय जी  हार्दिक आभार 

प्रिय संदीप,अरुण धन्यवाद अपनी प्रतिक्रया देने के लिए 

शुक्रिया अमितेष जी,तपन जी, गणेश जी एवं प्रदीप जी 

Comment by seema agrawal on January 31, 2013 at 12:48pm

प्रिय प्राची आपके स्नेह का  दिल से अभिनन्दन .....

आभार सौरभजी आपकी उपस्थिति ही ऊर्जा से भर देती है  :)

बहुत बहुत  धन्यवाद अशोक जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on January 25, 2013 at 1:47pm

सुन्दर नवगीत, भावनाओं का सुन्दर सफर. सादर बधाई स्वीकारें आद. सीमा जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 16, 2013 at 8:36pm

सीमाजी, सुन्दर और कोमल से इस नवगीत पर आपको हार्दिक बधाई. बहुत ही सुन्दर प्रयास हुआ है.

बार-बार बधाई.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 10, 2013 at 4:23pm

आदरणीया दीदी सादर प्रणाम, सुन्दर फूलों की माला सी गुंथीं सुन्दर मनमोहक नवगीत हेतु हार्दिक बधाई.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 10, 2013 at 4:22pm

'कल' की खातिर 'आज' से 

हम कुछ शकुन लें 

 जरूर

सुन्दर 

बधाई 

आदरणीया सीमा जी सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 10, 2013 at 4:15pm

भाव के मोती बिछे हैं

शब्द के कालीन पर 

प्रीत की सुर लहरियाँ हैं 

आस्था की बीन पर ...................बहुत सुन्दर शब्दों की जादूगरी 

इस सुन्दर नवगीत के लिए बधाई आदरणीया सीमा जी 

Comment by Tapan Dubey on January 10, 2013 at 3:28pm
Waah waah bahut khub

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 3:10pm

भाव के मोती, अच्छे लगें, बहुत ही प्यारी रचना, बधाई हो इस खुबसूरत अभिव्यक्ति पर |

Comment by अमि तेष on January 9, 2013 at 5:30pm

बढिया ......................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
58 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
20 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service