For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मात्री भगिनी भार्या रूप नारी
मान जिनका अब खो रहा
ठहाका लगा रहा दुराचारी
क्यों दुयोधन हो रहा

                                                        
निर्मल मन सरल कोमल
करुना धारा वो कल- कल
गले लगा सब गरल जल
पालन करती तेरा पल -पल
निर्मम कांटे क्यों बो रहा
क्यों दुयोधन हो रहा

साक्ष्य तुझे मैं क्या दूँ 
तू नर है , महा बलधारी 
पौरुष फिर भी ,तेरा तोल  दूँ 
उदित करती तुझे वो नारी 
हे मानव ! तू थम , ठहर !
पापों को क्यूँ ढो  रहा 
क्यूँ दुयोधन हो रहा

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on December 26, 2012 at 1:28pm

साक्ष्य तुझे मैं क्या दूँ
तू नर है , महा बलधारी
पौरुष फिर भी ,तेरा तोल दूँ
उदित करती तुझे वो नारी
हे मानव ! तू थम , ठहर !
पापों को क्यूँ ढो रहा
क्यूँ दुर्योधन हो रहा

नमस्कार रितेश जी .. बेहद ही सशक्त रचना .. बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 25, 2012 at 9:07pm

रितेश सिंह जी बहुत शानदार लिखा है आदरणीय गणेश जी की बात पर गौर करना छोटी सी टंकण त्रुटी रचना की गरिमा को बिगाड़ रही है बधाई आपको 

Comment by Shyam Narain Verma on December 25, 2012 at 10:42am

बहुत सुन्दर ,  बहुत ही सहजता के साथ वर्णन किया है बेहतरीन रचना बधाई स्वीकारें !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 25, 2012 at 10:18am

//क्यूँ दुयोधन हो रहा//

बहुत ही सामयिक रचना, खूबसूरती से भावों को अभिव्यक्त किया है, शायद आप दुर्योधन लिखना चाह रहे थे | बधाई स्वीकार करें |

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 24, 2012 at 3:48pm

मित्र बहुत ही सहजता के साथ वर्णन किया है बेहतरीन रचना बधाई स्वीकारें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 24, 2012 at 12:31pm

बहुत सुन्दर बधाई आदरणीय सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"   आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को सार्थकता प्रदान करती प्रतिक्रिया के…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, नाश सृष्टि का इस करना/ इस सृष्टि का नाश करना/...गेयता के लिए…"
8 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"  आदरणीय गिरिराज भण्डारी जी सादर, प्रस्तुत गीत रचना को प्रदत्त विषयानुरूप पाने के लिए आपका…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"क्या ही कथ्य, क्या ही तथ्य और क्या ही प्रवाह .. वाह वाह वाह ..  आदरणीय अशोक भाईजी, आपने…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"युद्ध की विभीषिका की चेतावनी देती उत्तम रचना हुई आ॰ अशोक जी। सभी भाव पसंद आए।"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय। परिवर्तित मतला और शेर भी बहुत प्रभावी बन पड़ा है। मंच को लाभान्वित करने…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"अच्छे दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई। सार्थक और विषयानुकूल। बहुत बढ़िया "
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"धन्यवाद आदरणीय अशोक जी "
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आभार गिरिराज जी "
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service