For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ritesh singh
  • Male
Share on Facebook MySpace

Ritesh singh's Friends

  • प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
  • Rekha Joshi
  • Dr.Prachi Singh
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह
  • Manoj Kumar Jha
  • Neelam Upadhyaya
  • sanjiv verma 'salil'
  • Rana Pratap Singh
  • asha pandey ojha
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • PREETAM TIWARY(PREET)
  • Admin
 

ritesh singh's Page

Profile Information

City State
kolkata
Native Place
ara ,bihar
Profession
student

Ritesh singh's Blog

नारी -सम्मान

मात्री भगिनी भार्या रूप नारी

मान जिनका अब खो रहा

ठहाका लगा रहा दुराचारी

क्यों दुयोधन हो रहा

                                                        
निर्मल मन सरल कोमल

करुना धारा वो कल- कल

गले लगा सब गरल जल

पालन करती तेरा पल -पल

निर्मम कांटे क्यों बो रहा

क्यों दुयोधन हो रहा



साक्ष्य तुझे मैं क्या दूँ 
तू नर है , महा बलधारी 
पौरुष फिर भी ,तेरा तोल  दूँ 
उदित करती तुझे वो…
Continue

Posted on December 24, 2012 at 11:00am — 6 Comments

वीर --पथ और मंजिल

गिरने से क्यों डर रहा

चलना तो तुझी को वीर |

डूबने से क्यों डर रहा

तबियत से लहरें तो चीर |



मार्ग तो प्रशस्त है

तो काहे की बिडम्बना

आए अगर विषमता

दिखा दे अपनी आकुलता

बेचैनी और व्याकुलता



याद कर अपनी मकसद को

झोंक दे उसमे खुद को

जलने से क्यों डर रहा

बहा दे उस अनल पे नीर



सुर तू ही शोर्य है

तू ही वो किरण है

कर्म पथ पे चल जरा

कहा तेरे चरण है

बेधने से क्यों डर रहा

फाड़ दे उस घटा की… Continue

Posted on August 23, 2010 at 4:30am — 2 Comments

सावन की चांदनी रात

सावन की ये अंजोरिया

झिलमिलाते चाँद -तारे

बादलों की आड़ से

लुक्का छिप्पी खेलते सारे

हलके हलके घनो से

हल्की बूंदों की रिमझिम

हर्षित मन को लगते न्यारे





शनै: शनै: पवन के झोखे

नीम पीपल आम के पत्ते

झींगुर के साथ और रतजगे

मिलकर किए निर्मित

कर्णप्रिये ध्वनि है मिश्रित





बसुधा से मिलन को बेताब

वो बूंद अम्बर से

आकर पत्तों पर गिरती

तब धरा को सर्वस्व मानकर

उससे आलिंगन करती

धरा और नभ के मिलन… Continue

Posted on August 21, 2010 at 4:11pm — 3 Comments

अलबेला राही

चल रहा है पग पर राही
अकेला है ,अलबेला है
मंद कर तू पग रे राही
अकेला है ,अलबेला है |
कहने को तू मौजी है अल्हड ,बेपरवाह
क्या जल्दी है बोल रे राही
अकेला है ,अलबेला है |
जरा कर पीछे लोचन रे राही
अकेला है ,अलबेला है |
अपने तेरे छुट गए है
क्यों दोस्त क्या तेरे कोई नहीं है
जीवन रस में पग रे राही
क्यों अकेला है ,क्यों अलबेला है ?

......रीतेश सिंह

Posted on August 19, 2010 at 11:30pm — 3 Comments

Comment Wall (5 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:42pm on July 6, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

प्रिय मित्र जन्म दिन की ढेर सारी हार्दिक बधाई और शुभ कामनाएं ...प्रभु आप को सदा सफल करे उन्नति के पथ पर बढ़ते आप इस समाज को रोशन करते चलें ....सब मंगलमय  हो ....जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 
At 11:37pm on August 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

At 5:20pm on August 15, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 9:50am on August 15, 2010, Admin said…

At 8:39am on August 15, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service