उसका पैग़ाम बॊलॆगा,,,,,,,
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न जानॆं अदालत मॆं कल, किसका नाम बॊलॆगा ॥
यकीनन जब भी बॊलॆगा, वह बॆ-लगाम बॊलॆगा ॥१॥
मौत कॆ खौफ़ सॆ ज़रा भी, डरता नहीं है कभी,
मौन तॊड़ॆगा जिस दिन,फ़िर खुलॆ-आम बॊलॆगा ॥२॥
ठॊकरॆं मारनॆ वालॊ वॊ,हरॆक की ख़बर रखता है,
वॊ कुछ नहीं बॊलॆगा कल, उसका काम बॊलॆगा ॥३॥
लफ़्ज़ॊं मॆं उसकॆ समाया है,समन्दर तॆज़ाब का,
कल हर एक कॆ लबॊं सॆ, उसका पैग़ाम बॊलॆगा ॥४॥
आँधियॊं का अँदॆशा है,सभी चिरागॊं कॊ जला लॊ,
यॆ हौसला नयॆ सूरज कॊ, कल ऎहतराम बॊलॆगा ॥५॥
किस किस की ज़ुबां काटॆगी, सियासत की छूरी,
यहाँ हर बच्चा अली और,हर बच्चा राम बॊलॆगा ॥६॥
किसी सनद की गवाह की,जरूरत न हॊगी वहाँ,
आवाम की अदालत मॆं,हॊ खुद इल्ज़ाम बॊलॆगा ॥७॥
सियासती लुटॆरॊ तुम्हारॆ,सर पॆ टॊपियाँ न रहॆंगीं,
जिस दिन बिगड़ करकॆ, रॊटी का ग़ुलाम बॊलॆगा ॥८॥
तुमनॆं गरीबॊं कॆ आँसुऒं की, नीलामी लगाई है,
यॆ तुम्हारी सॊहरत की,नीलामी सरॆआम बॊलॆगा ॥९॥
गद्दाफ़ी की तरह मांगॆ, मुआफ़ी न मिलॆगी"राज"
इंक्लाब जिस दिन अपनी,वफ़ा का दाम बॊलॆगा ॥१०॥
कवि-"राज बुन्दॆली"
१९/१२/२०१२
Comment
sanjiv verma 'salil' ,,,,,,,,,,जी हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,
Ashok Kumar Raktale ,,,,,,,,,,जी हृदय से आभार आपका,,,,,,,,,
आदरणीय राज जी सादर, बहुत दबंगता से आवाज बुलंद करती गजल पर बधाई स्वीकारें.
'उसका पैगाम बोलेगा' सार्थक सन्देश देने में सक्षम रचना है. बधाई.
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