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भ्रष्टाचार मुनि और महारानी कटारिया (हास्य व्यंग )

ध्रष्ट मुनि के कर्ण प्रिय वचन सुन भ्रष्ट मुनि पुनः समाधी में चले गए. इधर ध्रष्ट मुनि अपने चेहरे पर कुटिल  मुस्कान बिखेरते हुए  अपने कक्ष में विश्राम हेतु गए. कक्ष में पहुँचने पर ध्रष्ट  मुनि ने अपने अनुचर से विटामिन 'आर' और विटामिन ' के ' के १०१ इंजेक्शन लगवाये और शैया पर लेट आगे की रणनीति क्या हो विचार करने लगे. विचार- करते करते कब नींद आ गयी मुनि को पता ही न चला. रात्रि  का अंतिम प्रहर था मुनि गहरी निद्रा में थे कि तभी उनके कक्ष का तापमान बढ़ने लगा. बढ़ते तापमान से मुनि कसमसा के उठ बैठे और माथे पर चिंता की लकीरें गहरी हो गयीं. ये संकेत तो महारानी कटारिया के महल से आ रहा था. जरूर कोई गंभीर बात है कि महारानी स्वयं भ्रष्ट मुनि से मिलना चाहती हैं अन्यथा शीत तापमान कर विडिओ कोंफ्रेंसिंग करतीं. ध्रष्ट मुनि ने तत्काल महारानी कटारिया से संपर्क साध आने का प्रयोजन जानने का प्रयास किया, पर महारानी ने और कुछ न बता भ्रष्ट मुनि से तत्काल एक विशेष गोपनीय बैठक की व्यवस्था हेतु अनुरोध किया.
भ्रष्ट मुनि  महारानी के आगमन की खबर सुन तत्काल  अपने विशेष सभा कक्ष में पहुंचे जहाँ महारानी अपने महल से विशेष सुरंग के द्वारा पहुँचने वाली थी. महारानी ने पहुँचते ही मुनिवर को शाष्टांग  प्रणाम किया और छूटते ही बोली मुनिवर आपके आश्वाशन से मैं बिलकुल निश्चिन्त थी परन्तु पिछले १-२ माह से देख रही हूँ कि मेरे साम्राज्य में घोर अराजकता फैल गयी है. मेरे, मेरे मंत्रियों और सभा महल को विटामिन ' आई ' वाइरस ग्रस्त रोगी भारी मात्रा में घेर कर पूरे साम्राज्य में भ्रष्ट व्यवस्था लागू करने के मिशन में बाधा डाल रहे हैं.  राहू केतु अंगा महाराज और  ऋषि वामदेव पहले से ही आफत जोते हुए हैं. अब ये  नयी मुसीबत पवन केसरी दीवाल बनकर खड़ा हो गया है. आये दिन हमारी वर्षों पुरानी मेहनत पर पानी फेर रहा है. डरता भी नहीं किसी से. आप जान रहे हैं कि वर्ष २०१४ भी अति सन्निकट है. कहीं ये सफल हो गए तो? 
और कुछ कहना है महारानी जी आपको तो बिना संकोच कहिये फिर मैं आपको बताऊँ .
महारानी जी आपकी यही  कमजोरी आपको ले डूबेगी. आप जानती हैं कि आपके साम्राज्य में सूरज कभी उगता नहीं. आपके साम्राज्य की जनता को जिन गोली और इंजेक्शन के द्वारा आपका कट्टर अनुयायी बनाया जा रहा है उसका सत आपके ही पूर्वजों के शरीर  से गुणित हो रहा है. क्या आपका विश्वास उससे भी डिग गया है? आप इस भ्रम में न रहिये कि आपका साम्रज्य खतरे में है. आप तो एक मात्र मोहरा हैं मेरे लिए और एक सामान्य अनुयायी. ये मेरी प्रतिष्ठा का प्रश्न है. प्रभु ने स्वयं मुझे वरदान दिया है कि मेरे भ्रष्टाचार का साम्राज्य प्रति पल फलता फूलता रहेगा, चाहें कोई कितनी भी बाधा क्यों न डाले. आप भी शांत होकर अपने साम्राज्य के प्रत्येक कोने में द्रष्टि डालकर देखिये मैं कहाँ से हार रहा हूँ. प्रत्येक क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जड़ें नितप्रति गहरी होती जा रही हैं. ये मेरी ही योजना थी कि जो भ्रष्टाचार के बार में अनभिज्ञ हो वो भी जान जाये भ्रष्टाचार क्या है इसलिए मैने ही अंगा महराज और ऋषि वामदेव को प्रेरित कर भ्रष्टाचार और काले धन के खिलाफ अभियान चलाने को प्रेरित किया. ताकि इन जैसे बढ़िया व्यक्तियों  द्वारा अगर कोई बात कही जायेगी तो लोग ध्यान से सुनेंगे और मेरा जाने अनजाने में प्रचार और प्रसार हो जायेगा. अब देखिये मेरे अभियान को सफल बनाने हेतु आपके साम्राज्य का बच्चा-बच्चा एडी   चोटी से जोर   लगा रहा है. आपने देखा कि सभामहल में आपके सहयोगी और विपक्षी एक सुर में इनका विरोध करने हेतु एकमत हुए. कुछ बाद में अपनी रोटी चमकाने इनके आयोजन में शामिल तो जरूर हुए पर अपनी अपनी ढपली का राग अलापते हुए ताली बजवाई और फोटो खिंचवा कर अपने पुराने कार्यों में लग गए.
मेरे अनुचरों ने पवन केसरी को विटामिन 'आर' की हाई डोज़ दी और वे लगे अपनी पार्टी बनाने. ये विघटन मैने ही करवाया है. पवन केसरी को विटामिन 'आई' यानी ईमानदारी की हाई डोज का इंजेक्शन और लगवा दिया. परिणाम स्वरूप अब ये महोदय आपके और आपके विपक्षियों के कपडे उतारने में लग गए और वे लोग इनके. इससे दंगल का मजे का मजा साथ ही मुफ्त का प्रचार प्रसार. इस अराजकता का सारा श्रेय मेरे को नही जाता आपके अनुचर व् विपक्ष भी बेशर्मी का लबादा ओढ़ कर बहादुरी से संघर्ष कर रहे हैं. विपक्ष को काफी नुक्सान हुआ है. 
जहाँ तक बात ईमानदारी की है इसके अनुयायी कितनी संख्या में होंगे ? ईमानदारी का वायरस कै दिन में मर जाता है. ३ दिन, ५ दिन, ७ दिन. और ये अगर टाईफाइड में बदल गया और बिगड़ गया  तो मरीज स्वयं में ही मर जाता है. इसी प्रकार  ईमानदार आदमी कब तक जिन्दा रहेगा, अगर जिया भी तो मरे के समान ही होगा. आपने अपने साम्राज्य में इन जैसे लोगों की विशेष व्यवस्था जो कर रखी है. घोटाले को प्रश्रय दे अपने को, साथियों को लाभ पहुंचा  इनका हक़ छीन लिया. घरानों से पैसा ले बाजार महंगी कर दी. रिश्वत कि दरों में भारी इजाफा करवाया.  अन्न सड़ भले ही जाए पर लोगों को भूखा मार दो. वैसे ही कई घरों में चूल्हा कहो एक ही टाइम जलता हो अब ईंधन महंगा कर जलते  चूल्हे बुझवा दिए. आपके इस अमूल्य सहयोग की प्रगति से अपने प्रभु जी को अवश्य ही अवगत कराऊंगा साथ ही अनुशंशा भी करूँगा की आने वाले युग 'खलि युग ' में भी आपका ही वंश राज करे.  इन सब के बाद भी यदि आपका साम्राज्य चला भी जाए, वैसे तो असंभव ही दीखता है फिर भी वो कुछ दिनों में वापस आपको मिल जाएगा. क्यों कि जो विष बेल मैने बोई है वो अमर बेल है. फिर इस साम्राज्य की जनता कितनी मस्त है, कुछ करना भी न पड़े और परिवर्तन हो जाए.  ये लोग भ्रष्टाचार  से त्रस्त तो जरूर है पर लिप्त भी है. ये सब आपके बिना जी नहीं सकते. अब आप आराम से अपने महल में बैठ कर चुप चाप तमाशा देखिये. 

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Comment

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 6, 2012 at 1:07pm

aadarniya ravikar ji, saadar 

shaandar 

abhaar. 

Comment by रविकर on November 5, 2012 at 5:58pm

आभार आदरणीय -

छूछ आग से 'के-जरी', जे 'गुट-करी' जनाब |
'सोनी-या' रोनी शकल, करती काम खराब |
करती काम खराब, बड़ा डेंगू है फैला |
सुबह कपाली काँख, फाँक ले सूखा मैला |
मत घबराना किन्तु, वोट तो मिलें भाग से |
नाती पुत्र दमाद, डरें नहीं छूछ आग से ||

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 5, 2012 at 1:14pm

आदरणीया प्राची जी, 

सादर अभिवादन. 

आका अमूल्य स्नेह प्राप्त हुआ. आभार. 

परिस्थितियों ने आप सब से दूर रखा है. जल्द मिलेंगे. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 5, 2012 at 1:12pm

आदरणीया शालिनी जी, सादर अभिवादन 

ये हास्य व्यंग है. कोई व्यक्ति निशाने पर नहीं है. आलेख स्वतः स्पष्ट  और निष्पक्ष है. आपके अमूल्य विचारों एवं स्नेह की हमेशा प्रतीक्षा रहेगी.

आभार.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 5, 2012 at 1:04pm

आदरणीय बागी जी, 

सादर अभिवादन 

भ्रष्टाचार मुनि एक श्रंखला  है. 

सराहना हेतु आभार. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 4, 2012 at 3:27pm
बहुत बढ़िया व्यंग रचना आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी. हार्दिक बधाई स्वीकार करे.
Comment by shalini kaushik on November 4, 2012 at 3:12pm

imandari koi virus ke roop me thode hi hoti hai yadi ye virus hoti to sabhi iske shikar hote ye bechari to kamjor abla nari ke roop me hai jisse sab door bhagte hain aur koi bhi iskee jimmedari nahi uthana chahta.sonia ji ko lakshy karke aapne jo ye aalekh likha hai aalekh kee drishti se sarahniy hai kintu is desh me sonia ji ko jis tarah se pracharit kiya ja raha hai vah galat hai .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 4, 2012 at 11:17am

व्यंग्य आलेख पर आपका प्रयास प्रसंशनीय है, बधाई |

Comment by PHOOL SINGH on November 3, 2012 at 4:38pm

प्रदीप जी नमस्कार.

बहुत ही अच्छी व्यंगात्मक कहानी के लिए बधाई.......

फूल सिंह

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