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लगेंगी सदियाँ पाने में ......

लगेंगी सदियाँ पाने में ......

न खोना प्यार अपनों का लगेंगी सदियाँ पाने में ,
न खोना तू यकीं इनका लगेंगी सदियाँ पाने में .
 
नहीं समझेगा तू कीमत अभी बेहाल है मन में ,
अहमियत जब तू समझेगा लगेंगी सदियाँ पाने में .
 
नहीं बनता ये ऐसे ही कि चाहे जब बना ले तू ,
तू तोड़ेगा ये डूबेगा लगेंगी सदियाँ पाने में .
 
यकीं और प्यार का रिश्ता बनाया ऊपरवाले ने ,
हुनर पाना जो चाहे ये लगेंगी सदियाँ पाने में .
 
मिले जब प्यार अपनों का तो भर आती हैं ये आँखें ,
संभालेगा न गर इनको लगेंगी सदियाँ पाने में .
 
जो आये आँख में आंसू ''शालिनी ''पी जाना तू मन में ,
गिरा गर धरती पर आकर लगेंगी सदियाँ पाने में .
                   शालिनी कौशिक 

 

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Comment by नादिर ख़ान on October 6, 2012 at 11:41pm

koshishen hi kamyab hoti hain.

Comment by shalini kaushik on October 6, 2012 at 10:37pm

वास्तव में ये केवल मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति है .आप दोनों की सीख पर मैं अवश्य ध्यान दूँगी क्योंकि ये मेरी अभिव्यक्ति के एक सही स्वरुप में ढलने में भी मददगार होगा.आभार

Comment by Er. Ambarish Srivastava on October 6, 2012 at 12:35pm

आदरणीय बागी जी से सहमत | शालिनी जी, इसे पढ़कर ऐसा लग रहा है कि आप बेहतर गज़ल कह सकती हैं ....बस इसके शिल्प के बारे में ग़ज़ल की कक्षा से पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लें  !


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2012 at 12:12pm

रचना अच्छी है शालिनी जी किन्तु यह ग़ज़ल की परिधि से बाहर है |

कृपया ध्यान दे...

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