मान और सम्मान की,नहीं कलम को भूख
महक मिटे ना पुष्प की , चाहे जाये सूख |
खानपान जीवित रखे , अधर रचाये पान
जहाँ डूब कान्हा मिले , ढूँढो वह रस खान |
दीपक पलभर जल बुझे, नित्य जले आदित्य
सकल जगत जगमग करे,कालजयी साहित्य |
अलंकार रस छंद के , बिना कहाँ रस-धार
बिन प्रवाह कविता नहीं गीत बिना गुंजार |
अक्षर - अक्षर चुन सदा, शब्द गठरिया बाँध
राह दिखाये व्याकरण , भाव लकुठिया काँध |
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर , जबलपुर (म.प्र.)
Comment
आदरणीय प्रिय अरुण जी
खानपान जीवित रखे अधर रचाए पान ..यह सही है कि जीवित रहने के लिए भोजन जरुरी है
परन्तु पान खाने से पेट नहीं भरता पान से अधर ही रचाए जा सकते है
एक साहित्य प्रेमी की क्या तृष्णा हो सकती है... मान और सम्मान की,नहीं कलम को भूख
अलंकार रस छंद के , बिना कहाँ रस-धार
बिन प्रवाह कविता नहीं गीत बिना गुंजार |
बहुत बढ़िया... क्या बात है... क्या बात है...
हार्दिक बधाई
दोहा बिन रस छंद के,खाते नहीं है मेल
दिया कभी जलता नही,बाती बिना न तेल,,,,
अरुणजी,,,भावपूर्ण दोहे लिखने में आपका जबाब नही,,,,बधाई
आदित्य नगर के अरुण कुमार निगम जी, सलाम | सचमुच कालजयी साहित्य
सकल विश्व को जगमग कर सकता है | हमारी रामायण, भगवत गीता हो,साकेत
हो,या यशोधरा या फिर कोई बरट्रेंड रसल,जॉन रस्किन का साहित्य | शानदार दोहों
के लिए हार्दिक बधाई |
अलंकार रस छंद के , बिना कहाँ रस-धार
बिन प्रवाह कविता नहीं गीत बिना गुंजार |
अक्षर - अक्षर चुन सदा, शब्द गठरिया बाँध
राह दिखाये व्याकरण , भाव लकुठिया काँध |..........क्या कहने अरुण जी काव्य में रूचि रखने वालों को बहुत सहज तरीके से काव्य ......................................................की मूलभूत ज़रूरतों से आगाह करा दिया आपने ....यही तो दोहों की विशेषता है
सीधी बात नो बकवास
अति सुन्दर सब दोहरे, मुखरित है साहित्य.
मित्र बधाई आपको, चमकें बन आदित्य.. सादर
सभी उत्कृष्ट दोहे अरुण जी बहुत बहुत बधाई
आदरणीय निगम साहब,
सादर, बहुत सुन्दर दोहावली. हार्दिक बधाई स्वीकारें.
खान पान संगीत धुन, साहित्य कइ प्रकार,
गीत गजल छंद रस है, पर इनका आधार/
दीपक पलभर जल बुझे, नित्य जले आदित्य
सकल जगत जगमग करे,कालजयी साहित्य |,एक से बढ़ कर एक दोहे रचे है आपने ,हार्दिक बधाई
सुन्दर, भावपूर्ण एवं सरस दोहों पर हार्दिक बधाईस्वीकार करें आदरणीय! साभार,
//दीपक पलभर जल बुझे, नित्य जले आदित्य
सकल जगत जगमग करे,कालजयी साहित्य |//
वाह भाई अरुण जी , सभी दोहें एक पर एक हैं, बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकार करें |
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