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नींबू अदरक लहसुना, सिरका-सेब जुटाय,

सारे रस लें भाग सम, मिश्रित कर खौलाय. 

मिश्रित कर खौलाय, बचे तीनों चौथाई.

तब मधु लें समभाग, मिला कर बने दवाई.

'अम्बरीष' नस खोल, हृदय दे, महके खुशबू.

नित्य निहारे पेय, तीन चम्मच भल नींबू..

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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Comment by Rekha Joshi on August 23, 2012 at 11:36am

लाजवाब नुस्खा ,हार्दिक आभार आदरणीय अम्बरीश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 23, 2012 at 10:49am

वाह अम्बरीश जी बहुत सुन्दर   लाभकारी स्वास्थ्य वर्धक  छंद ----बहुत काम का हार्दिक आभार सांझा करने के लिए 

Comment by Albela Khatri on August 23, 2012 at 9:44am

वाह वाह .ये तो बड़ा  बढ़िया नुस्खा बता  दिया भाईजी.........
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 23, 2012 at 9:43am
 बहुत सुन्दर आरोग्य कुंडली आदरणीय अम्बरीश जी,
घरेलू चिकित्सा की अचूक पद्धति को छंदबद्ध कर इस रचना में अद्वितीय ज्ञान समाहित किया है. इस हेतु साधुवाद. 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 22, 2012 at 9:28pm

स्वागत है अनुज कुमार गौरव जी, इसे सराहने के लिए आपके प्रति हार्दिक आभार ......यह कुंडलिया यदि किसी के काम आ सके तो इसका सृजन सार्थक होगा | सस्नेह ....

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 22, 2012 at 8:56pm

आदरणीय अग्रज अम्बरीश जी, बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धक कुण्डलिया........बधाई.........

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