For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१. मंहगाई

दिल को देती है तन्हाई,
कभी ना होती उसकी भरपाई !
तुम क्या जानों पीर पराई ,
क्यों सखा सजनी, ना सखा मंहगाई !!

२. नेता

वो जब भी आये बलईयाँ लेता ,
सबके हाल पर चुटकी लेता !
रोज नये आश्वासन देता,
क्यों सखी साजन, ना सखी नेता !!

Views: 724

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 11:29am

शुक्रिया राजेश कुमार जी .

Comment by Naval Kishor Soni on August 22, 2012 at 11:12am

आप सभी का शुक्रिया .आप के सुझाव सर माथे पर. कृपया ऐसा स्नेह बनाये रखियेगा ताकि मेरे लेखन में निरंतर सुधर हो सकें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 22, 2012 at 9:48am

प्रिय नवल बहुत सुन्दर कह्मुकरियाँ लिखी हैं बस हर पंक्ति में १६ मात्राएँ होनी चाहिए शुरू में हम से भी ये गलती होती थी बहुत अच्छा प्रयास शुभकामनायें 

Comment by Rekha Joshi on August 22, 2012 at 12:19am

अति सुंदर कह मुकरियां नवल जी ,बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2012 at 10:48pm

सादर आदरणीय अलबेलाजी.. .

Comment by Albela Khatri on August 21, 2012 at 10:46pm

jai ho mahaprabhu ji ki


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2012 at 10:43pm

आदरणीय अलबेला जी ने तो सीधा उपसंहार ही लिख डाला है .. :-)))

अनुज नवलजी, खूब पढ़िये और हृदय लगा कर गुनिये,  आपकी रचनाधर्मिता को, देखियेगा, अर्थ मिलता जायेगा.

जय हो.. .

Comment by Albela Khatri on August 21, 2012 at 10:31pm

बहुत बहुर धन्यवाद सम्मान्य सूबे सिंह सुजान जी,

सादर

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 21, 2012 at 10:26pm

वाह....दिल से निकले...खुद-ब-खुद.....वाह।।

नवल जी ने भी अच्छा लिखा ..किन्तु अलबेला जी आपने वाक्य में बहुत अर्थपूर्ण व मधुर सुधार किया है।।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 21, 2012 at 9:35pm

नवल जी, एक अलग प्रयोग किया है आपने, इस प्रयास पर साधुवाद |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
17 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
20 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
36 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
38 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
40 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
41 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
43 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
59 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
59 minutes ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय भाई लक्ष्मण जी  हौसलाअफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service