फिर आएंगे नेता मेरे गांव में |
अबके लूँगा सबको अपने दाव में |
पूछूँगा सड़क क्यों बनी नहीं ?
हैण्ड पम्प क्यों लगा नहीं ?
क्यों बिजली नहीं आई मेरे गांव में…
ContinueAdded by Naval Kishor Soni on October 8, 2018 at 5:00pm — 4 Comments
बेहद तेजी से प्रोफेशनल तरक्की
के रास्ते पर हो दोस्त,
बुन ली है तुमने अपने
आस पास एक ऐसी दुनिया,
जिसमें ना प्रवेश कर सकते हैं हम
और ना ही तुम आ सकते हो हम तक !
नहीं बची है दूसरों के लिए करुणा,
प्रेम, स्नेह और आत्मीयता की कोई जगह,
तुम्हारी इस दुनिया में !
हंसना, मुस्कुराना तो कभी का
हो चुका था बंद,जब भी मिले,मिले…
Added by Naval Kishor Soni on August 21, 2018 at 12:00pm — 6 Comments
जुमले बाजी का नाम सियासत |
मक्कारों का काम सियासत |
जाति,धर्म पर लड़वाने में
सबसे आगे आज सियासत |
रोजगार के ख्वाब दिखाकर
लूटे सरे आम सियासत |
घोटालों में लिप्त है नेता
बेमानी का नाम सियासत |
बेटियों की लुटती आबरू
चुप बैठी है आज सियासत |
लाज-शर्म को गिरवी रखकर
करती नंगा नाच सियासत |
भाई-भतीजावाद है हावी
तेरी-मेरी कहाँ सियासत ?
"मौलिक एवं…
ContinueAdded by Naval Kishor Soni on July 10, 2018 at 5:00pm — 11 Comments
कभी सोचता हूँ यदि ईश्वर-अल्लाह इत्यादि एक ही है
तो हम सबको अलग-अलग पैदा क्यों किया ?
इस बारे में क्या सोचते है आप ?
और माना कि पैदा किया भी तो फिर बीच में
कहाँ से आ टपके हमारे माँ-बाप ?
और पर्वत-पहाड़ नदियाँ तो बनते बिगड़ते है अपने आप
फिर इन सबको भी ऊपर वाले ने बनाया क्यों कहते है आप ?
और कभी सड़क पर आपको ड्राईवर टक्कर से बचा भी दें
तो आप पूरा श्रेय देते हैं भगवान को !
और मर गए तो आफत आती है ड्राईवर की जान को !
थोडा सोचो…
ContinueAdded by Naval Kishor Soni on February 27, 2018 at 12:30pm — 3 Comments
नई शुरुआत-----
जो हो चुका सो हो चुका,
तुम इक नई शुरुआत करो.
हर चीज बदलती है,
अपनी आखिरी साँस के साथ,
तुम फिर से कोई जुदा बात करो.
उजड़ गया गर शहरे-आलम सारा,
तुम फिर नया अहसास…
ContinueAdded by Naval Kishor Soni on March 14, 2017 at 12:15pm — 3 Comments
लो फिर चुनाव आ गये.
हम हर दल के नेता को भा गए.
‘दल-दल’ से निकल कर सब नेता,
शहर-गाँव में आ गये.
कोई मोबाइल, लैपटॉप दे रहा.
कोई दे रहा दाल घी,
खुले आम दरबार लगा है,
चाहे जितना खा और पी.
पांच साल हमने भोगा है,
कुछ दिन तुम भी लो भोग.
चुनावी वादें है, वादों का क्या,
समय के साथ भूल जाते है लोग.
गरीबों का हक हम खा गये,
लो फिर चुनाव आ गये.
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Naval Kishor Soni on January 30, 2017 at 5:48pm — 6 Comments
आओ प्रिय बैठो पास ,
क्यों रहती हो तुम उदास ,
दिल में तुम हो मेरे खास,
देखो हरी-हरी ये घास,
जगा रही है मन में प्यास,
चितवन देख तुम्हारी आज,
लगती मुझको तुमसे आस,
पर तुमको क्यों आती लाज,
प्रेम को समझो तुम भी…
ContinueAdded by Naval Kishor Soni on January 27, 2017 at 5:00pm — 2 Comments
अब नहीं करता मेरा मन ,
अपने घर जाने को ,
ना जाने क्यों ?
हालाँकि बदला कुछ खास नहीं है.
सिर्फ माता-पिता का साया उठा है ,
उस घर से , अलावा सब वैसा ही तो है,
भाई-भाभी, बच्चे , पडोसी सब.
पर पता नहीं अब क्यों नहीं ,
लगता मन ,
सोचता हूँ क्या खास था तब ,
दौड़ा चला आता था मैं ,
बेवजह छुट्टियां लेकर ,
अब छुट्टी हो तब भी ,
नहीं करता मेरा मन ,
अपने घर जाने को ,
ना जाने क्यों ?
अप्रकाशित -मौलिक
Added by Naval Kishor Soni on December 8, 2014 at 6:07pm — 13 Comments
यूँ तो सूरज का गर्वित होना वाजिब है
अपनी शान पर ,
क्योंकि अपनी रश्मियाँ फैलाता है ,
वो ज़मीं पर .
करता है रोशनी .
पर यह ज़मीं भी तो सहती है ,
धूप, सर्दी और बरसात सब.
क्यों चुप रहता है सूरज तब .
क्या दिखती नही उसे इस
ज़मीं की सहनशीलता ???
Added by Naval Kishor Soni on August 29, 2012 at 12:10pm — No Comments
झुंझुनू यात्रा के दौरान
घुमाया गया मुझे
तथाकथित "रानी सती" के मंदिर में.
मंदिर में प्रवेश करते ही दरवाजे पर लिखा था ....
"हम सती प्रथा का विरोध करते है"
पर अंदर जाकर जिस तरह श्रदालुओं का दिखा रेला ,
और बाहर भी लगा था भक्तों का मेला ,
मेरे मन में सवाल उठा कि-------
जब दुनिया से गया होगा इस महिला का पति,
तो क्या अपनी इच्छा से हुई होगी यह सती ?
वहां तो कोई जवाब नहीं मिला पर रात को सपने में आई वो महिला .
उसे देखकर पहले तो मैं डरा फिर मेरा…
Added by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 4:30pm — 2 Comments
बातें करते है "वो" शिक्षा में क्रांति की
कहते है अब जरुरी हो गई है
शिक्षा में क्रांति ?
मैंने पूछा किस तरह की क्रांति चाहते है आप ?
जवाब था आमूलचूल परिवर्तन
पूरी शिक्षा व्यवस्था को बदलना होगा
मैने कहा आप भी शिक्षक है आप कुछ करियें ना ?
वो बोले मेरे अकेले के करने से क्या होगा ?
क्रांति के लिए जरुरत होती है जनता के सैलाब की .
विचार और जज्बे के फैलाव की ----------------------?
मैनें कहा बहुत कुछ हो सकता है.
आप अपनी कक्षा से कर सकते है…
Added by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 3:00pm — No Comments
जो तुम बोलते हो क्या सिर्फ वही है भाषा ?
मैं जब सोचती हूँ तुम्हें
और खोती हूँ ,
तुम्हारे ख्यालों में ,
सपने सजाती हूँ नयनों में ,
और मुझे बहुत दूर जहाँ
के पार ले जाते है मेरे सपने
वहां जहाँ कोई नही होता मेरे पास
मैं नहीं खोलती अपना मुंह
फिर भी मैं बतयाती हूँ
फूलों से,तितलियों से, बहारों से
और तुमसे .
मेरे अहसास में होते हो तुम ,
बिन बोलें करती…
Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 5:30pm — 8 Comments
यह जो तुम्हारे आस पास
नदियाँ है ना.
इनको कभी देखना मेरी
नज़र से .
यह तुम्हें बिना थके
बिना…
Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 5:30pm — No Comments
क्यों कर जाते है परिस्थितियों से पलायन हम ,
ये परिस्थितियां ही तो सिखाती है हमें जीना
पलायन में कहाँ होती है ,
स्थितियों को बदलने की इच्छा,
फिर क्यों नहीं हम परिस्थितियों का सामना करते रूककर ,
आखिर कहाँ जा सकते है भागकर .
जहाँ जायेंगें वहां की स्थितियां ,
फिर खड़ी होंगी बन कर परिस्थितियां
इनका कोई अंत नही ,
तो बस करो अब भागना
और करो दृढ़ निश्चय
परिस्थितियों से संघर्ष का…
Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 11:00am — 7 Comments
1. सब मिल जुल कर जियो
भाई देखो यह देश और दुनियां तो सबकी हैं .
किसी एक के बाप का हक नही है इस पर .
फिर क्यों झगड़ा करते हैं हम बेवजह ?
जब तक जियो सब मिल जुल कर जियो यार .
तेरा, मेरा, इसका,उसका छोडो यह तकरार .
सब मिल कर रहो आपस में करो प्यार .
क्या रखा हैं हेगडी में एक दिन मर जाओगे यार .
2. सरोकार
तुम्हारे हमारे सरोकार क्या हैं
तुम क्या समझते हो परोपकार क्या है ?
किसी को देना अठन्नी-रुपया
यह परोपकार…
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 12:30pm — 5 Comments
तुम्हारे हमारे सरोकार क्या हैं
तुम क्या समझते हो
परोपकार क्या है ?
किसी को देना अठन्नी-रुपया
यह परोपकार नहीं है भैया ,
उसे इस काबिल बनाने में करो मदद
कि वो खुद कमाले …
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 12:19pm — 6 Comments
१.
वह जब आती मन को भाती,
सबके जीवन को हर्षाती ,
कभी कभी देती है तरसा,
क्यों सखा सजनी, ना 'बरसा'.
२.
वो जब आती मैं सो जाता ,
गहरे सपनों में खो जाता ,
उस संग हो जाता 'रिंद'
क्यों सखा सजनी, ना नींद
३.
सुरूर उसका जब छाता है .
रोम रोम सा खिल जाता है.
उसके आगे सब खराब .
क्यों सखा सजनी,ना शराब.
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 11:00am — 6 Comments
गेंदा ,चंपा, ,चमेली ,
जूही के यह जो फूल हैं
ये सिर्फ महकते ही नहीं ,
ये हमें सिखाते है
जीवन जीना
और अपनी महक बिखेरना
और उस गुलाब को देखो
वो अपने ही काटों से छिदा है
फिर भी मुस्कुराता है हरदम
क्या इन फूलों से सीख़ नहीं
सकते हम जीवन जीने का तरीका ?
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 10:30am — 3 Comments
चाँद पर रख दिए हमने कदम
विकास कर रहे हैं हर दम
पहुंचे हैं आज यहाँ हम सदियों में.
पर आज भी पूजा जाता है चाँद
मेरे गांव/शहर की गलियों में ,
और चौथ का व्रत रखती हैं महिलाएं
खुश करने को अपने सुहाग को,
बी. एस.सी करती है पढ़ती हैं विज्ञान को,
पर आज भी दूध पिलाती है नागपंचमी पर नाग को.
चाहे जितना कर लो तुम विकास वो अब भी मिथकों पर है मरती .
उनके लिए आज भी शेष नाग पर टिकी है धरती !!!!!
Added by Naval Kishor Soni on August 21, 2012 at 3:00pm — 13 Comments
१. मंहगाई
दिल को देती है तन्हाई,
कभी ना होती उसकी भरपाई !
तुम क्या जानों पीर पराई ,
क्यों सखा सजनी, ना सखा मंहगाई !!
२. नेता
वो जब भी आये बलईयाँ लेता ,
सबके हाल पर चुटकी लेता !
रोज नये आश्वासन देता,
क्यों सखी साजन, ना सखी नेता !!
Added by Naval Kishor Soni on August 21, 2012 at 1:30pm — 12 Comments
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