For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"शहरीकरण"

संस्कृति
चीखती कराहती
बिलखती

अपने चिरंजीवी
होने के अभिशाप को लिए
नग्न पड़ी है
आधुनिकता के गुदगुदे बिस्तर पे
उसकी इज्ज़त तार तार करने वाले भेडिये
यत्र तत्र सर्वत्र घूम रहे हैं
कुटिल मानसिकता लिए
और बुद्धिजीवी कहते हैं
ये अत्याचार नहीं शहरीकरण है

आधुनिकता

आलमारी के कोने में रखे
पुराने कपडे
शर्मिंदा है खुद पर
काश हम पहले ही
फटे होते
तार तार होते
ओछे होते
बदन पे मुस्किल से आते
न ढँक पाते आन
तो हमें मिल रहा होता
आज सम्मान
इस आधुनिक समाज में

मेट्रो सिटी

जब प्रेम इतना बढे
के मर्यादाओं की जंजीरें तोड़ कर
घरों से निकल कर
वस्त्रों की घुटन से आज़ाद
उद्यानों की झुरमुट से निकल कर
सिनेमा हाल से बाहर निकल कर
सड़कों में चहुँ ओर पसर जाए
तब समझ लेना
आपका शहर
मेट्रो सिटी बन गया है

"कुत्ते "

सड़कों में कुत्ते भौंकते हैं
आवारा कुत्ते
लेकिन अब डर नहीं लगता है
हास्य जरुर पैदा होता है
उस आवाज से
लगता है मानो
दिल्ली की भड़ास
यहाँ निकल रही हो
और सरकार कह रही हो
भौंक ले और तेज़ भौंक
काटने का हुनर ही नहीं रहा अब
कुत्तों में

संदीप पटेल "दीप"

Views: 470

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 16, 2012 at 11:35am

आदरणीय अम्बरीश सर जी सादर नमन
मेरे लेखन को आपकी सराहना मिली मन प्रसन्न और उत्साहित हो गया
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आपका ह्रदय से धन्यवाद सहित सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 16, 2012 at 11:34am

आदरणीय रणवीर जी
आपको लेखन पसंद आया और आपने इसे अपना बेशकीमती समय दिया इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 16, 2012 at 11:32am

परम आदरणीय गुरुवर सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आपकी आशीर्वाद स्वरुप प्रतिक्रिया पा कर मैं धन्य हो गया
ये अनुपम स्नेह और आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखिये शिष्य पर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 16, 2012 at 11:27am

आदरणीय उमाशंकर सर जी आपको ये क्षणिकाएं पसंद आई मेरा लेखन कर्म सफल हो गया
अपना ये स्नेह यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद सहित आभार

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 14, 2012 at 11:00pm

//और बुद्धिजीवी कहते हैं
ये अत्याचार नहीं शहरीकरण है//

सुन्दर बिबों से सुसज्जित सभी क्षणिकाएं  बहुत पसंद आयीं ......बहुत बहुत बधाई मित्र !

Comment by Ranveer Pratap Singh on August 14, 2012 at 1:26pm

बहुत सुन्दर रचना है आपकी, ये आज की दुनिया का कड़वा सच है...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2012 at 9:12am

बहुत सुन्दर बिम्बों पर सधी रचनाएँ हुई हैं. व्यंग्य की भगार लगे भाव-शब्द प्रभावित करते हैं.

शाब्दिकता को थोड़ा संयमित विस्तार दिया जाय तो ऐसी रचनाओं की तासीर और भी तीखी होती है जो कि इस तरह की रचनाओं की आवश्यक मांग होती है. रचना ’शहरीकरण’ के संदर्भ यह बात खुल कर सामने आती है.

रचना ’कुत्ते’ के नेपथ्य भाव से बहुत ही प्रभावित हुआ हूँ. 

रचनाकर्म के लिये बहुत-बहुत बधाई व हार्दिक शुभेच्छाएँ.. .

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 13, 2012 at 11:43pm

"शहरीकरण"  आधुनिकता   मेट्रो सिटी   "कुत्ते " चारो रचनाएँ उम्दा है 

करारा व्यंग है मजेदार है आखरी कुत्ते ...ने हंसाया भी और आपका तेवर भी बताया

बहुत खूब संदीप जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service