For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल:इतना गुलज़ार सा..

इस टिप्पणी के साथ कि चाहें तो इसे अ-कविता की तरह अ-ग़ज़ल मान लें-

इतना गुलज़ार सा जेलर का ये दफ्तर क्यूं है,
आरोपी छूट गया और गवाह अन्दर क्यूं है.

सुलह को मिल रहें हैं मौलवी और पंडित भी ,
सियासी पार्टियों में भेद परस्पर क्यूं है.

अगर गुडगाँव नोयडा हैं सच ज़माने के ,
कहीं संथालपरगना कहीं बस्तर क्यूं है.

रंग केसर के जहां बिखरे हुए थे कल तक ,
उन्हीं खेतों में आज फ़ौज का बंकर क्यूं है.

जबकि बेटों के लिए कोई नहीं है बंदिश,
बेटी बाहर है तो सर पर उठाया घर क्यूं है.

वो तो जी जान से दौड़ा और ऊंचा कूदा भी,
फिर भी अफसर की नज़र उसकी जेब पर क्यूं है.

योजनाओं की लोरी सुनकर सो गए बच्चे ,
घर में खाली पड़ा हर टीन कनस्तर क्यूं है.

यूं तो हर शहर में होते हैं हादसे दस बीस,
धंस गयी दिल्ली में सड़क तो वो खबर क्यूं हैं.

तंग फ़िक्री की गली जबकि है आखिर में तय,
शहर के बीच दिखावे का गोलंबर क्यों है.

Views: 397

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on October 8, 2010 at 2:37pm
श्री आशीष जी हौसला बढाने के लिए दिल से आभार .तरही के दौरान मैं नहीं था पहले से कुछ शेर पोस्ट किये थे जल्दी में ,बाद में लगा जो लिखा है सामने लाऊँ.
Comment by आशीष यादव on October 8, 2010 at 2:19pm
Arun ji aap ka andaz hr baar mujhe pasand aata hai. Hr baar nya smawesh dekhne ko milta h. Ek alag dhang se aap kahte h. Ise aapne mushayare me kyo nhi dali.
Comment by Abhinav Arun on October 8, 2010 at 2:17pm
भाई जी ! आप सबको धन्यवाद मेरी " ग़ज़ल " पसंद करने के लिए .नवीन जी इस तरही मुशायरे के दौरान मैं अपने गांव गया था .नेट से दूर खेतों के पास . और तरही में भेजी गयी गज़ल मैंने एडमिन को समय से पूर्व ही पोस्ट करने के लिए भेज दिया था .अतः इस बार मैं लाइव नहीं रहा मुशायरे के दौरान .आने पर आप सबको पढ़ा आपने ढेर सारे कामयाब शेर कहे बधाई . अतः इस दौरान जो शेर कहे उन्हें बाद में भेजा .
Comment by DEEP ZIRVI on October 6, 2010 at 8:08pm
YE AGZL HAI TB BHEE GZL SE BEHTR , SAADHU SADHU

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2010 at 7:10pm
वोहो, क्या बात है,वाह वाह वाह, किस शेर को बहुत बढ़िया कहूँ, यहाँ तो सभी एक पर एक है, मतला ही बता दिया कि कुछ जबरदस्त हनी वाला है, आरोपी छुट गया और गवाह अन्दर है, बहुत खूब आज कि यही है हालत,

दूसरा शे'र तो बिलकुल ताजा है, सियासी पार्टियों का काला चेहरा दिखाता हुआ,
पूरी ग़ज़ल एक अलग रंग मे, बधाई कुबूल करे,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और मार्गदर्शन के लिए आभार। गजल गलत थ्रेड में पोस्ट…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 हंस उड़ने पर भला तन बोल क्या रह जाएगाआदमी के बाद उस का बस कहा रह जाएगा।१।*दोष…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आदाब ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। दोष होना तो…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"नमन मंच 2122 2122 2122 212 जो जहाँ होगा वहीं पर वो खड़ा रह जाएगा ज़श्न ऐसा होगा सबका मुँह खुला रह…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
10 hours ago
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service