For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मित्रों दोहों के रूप में कुछ अपने जीवन के अनुभव और विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ अपने विचार अवश्य रखें प्रसन्नता होगी

==========दोहे =========

पीर पराई देख के , नैनन नीर बहाय
दया जीव पे जो करे, वो मानव कहलाय

सब धर्मों का एक ही, तीरथ भारत देश
सबको देता ये शरण, कैसा भी हो वेश

मोक्ष आखिरी लक्ष्य है, हर मानव का दीप
मोती पाना कठिन है, गहरे सागर सीप

दीप जलाओ ज्ञान का, मन से मन का मेल
बाती जिसमें शास्त्र की, रीतों का हो तेल

मधु पाता श्रम जो करे, उसको मिलता मान
श्रम ही उत्तम मार्ग है,  श्रम का हो सम्मान

बादल बरसे हर बरस, फिर भी सूखा होय
संचय गुण जिसका नहीं, पटक पटक सिर रोय

ह्रदय द्वार को बंद कर, बाहर दीप जलाय
ब्रह्मा उसका क्या करे, कौन उसे समझाय

संदीप पटेल "दीप"

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 14, 2012 at 7:14pm

इन सुन्दर दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई संदीप जी

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 13, 2012 at 11:03pm

वाह भाई संदीप आपका ये सुफियानापन दोहों में सूफी संतो की आत्मा प्रवेश कर गई है...... जय हो ....बहुत सुन्दर

बधाई बधाई बधाई बधाई

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 3:41pm

आदरणीय आशीष जी, अलबेला सर जी, भ्रमर जी
आदरणीया रेखा जी , राजेश कुमारी जी , दीप्ति जी
आप सभी ने दोहे पसंद किये मेरा लिखना सफल हो गया
आपका अनुपम स्नेह मिला मेरे लेखन को इसके लिए आपका आभारी हूँ
ऐसे ही मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन करते रहिये

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 3:05pm

सदीप जी 

मोक्ष आखिरी लक्ष्य है, हर मानव का दीप 
मोती पाना कठिन है, गहरे सागर सीप ,एक से बढ़ कर एक बढ़िया दोहे ,बहुत बहुत बधाई  
Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 10:53pm

बहुत ही सुंदर दोहे भा गये बहुत बधाई 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 12, 2012 at 10:33pm

पीर पराई देख के , नैनन नीर बहाय
दया जीव पे जो करे, वो मानव कहलाय

मधु पाता श्रम जो करे, उसको मिलता मान 
श्रम ही उत्तम मार्ग है,  श्रम का हो सम्मान 

प्रिय संदीप जी अति उत्तम ...ऐसा हो जाए तो जग बदल ही जाए ....प्यारी रचना ..दोहों में जान आ गयी 

 ...बधाई 
भ्रमर ५  .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 10:14pm

बहुत सुन्दर दोहे दीप जी एक से बढ़कर एक 

Comment by Albela Khatri on July 12, 2012 at 9:43pm

गज़ब की दोहावली...........
अनुपम दोहावली
उत्तम दोहावली

बादल बरसे हर बरस, फिर भी सूखा होय
संचय गुण जिसका नहीं, पटक पटक सिर रोय

___वाह वाह संदीप पटेल दीप जी...बधाई !

Comment by आशीष यादव on July 12, 2012 at 9:20pm

कथ्य एवँ शिल्प, दोनो प्रकार से उत्तम दोहे।
बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service