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रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर

रात आती है तेरी यादें सुहानी लेकर।

फिर मोहब्बत की वही बातें पुरानी लेकर॥

 

ख़्याल जब तेरा सताता है मुझे रातों को,

सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥

 

आज महफिल में दिवानों के यही चर्चा थी,

कौन आया है ये चिलमन में जवानी लेकर॥

 

आज लिखूंगा तुझे फिर से मोहब्बत में ख़त,

दिल में बहते हुए दर्दों की कहानी लेकर॥

 

लोग बह जाते हैं जज़्बात में आकार अक्सर,

वो जिधर जाते हैं जलवों की रवानी लेकर॥

 

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,

हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

 

हाले दिल अपना सुनाने को तेरी महफिल में,

आज “सूरज” है चला ग़ज़लें जुबानी लेकर॥

                                  डॉ. सूर्या बाली “सूरज”

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 21, 2012 at 7:56pm

ला ल ला ला   ला ल ला ला    ला ल ला ला   ला ला

वाह वाह, बहुत खूब डाक्टर बाली साहिब, बहुत ही खुबसूरत ख्यालात की ग़ज़ल है , वजन कही कही मुझे ठीक नहीं लगा एक बार देख लें ....जैसे .....वो जिधर जाते हैं अंगूर का पानी लेकर॥

एक बात की तरफ और आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहूँगा ....

कृपया मतला का अवलोकन करें, मतले में आपने कहानी और सुहानी काफिया लिया है ...उसके हिसाब से बाकी के शेरों में प्रयुक्त काफिया त्रुटिपूर्ण है | मतले के किसी मिसरे में काफिया बदल सहज ही इसे दुरुस्त किया जा सकता है |

बहरहाल इस खुबसूरत ग़ज़ल पर दाद स्वीकार करें आदरणीय |


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 21, 2012 at 1:06pm

बेहद खूबसूरत अशआर डॉ बाली साहिब, बधाई स्वीकारें.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 6:54pm

आदरणीय बाली जी,
                            सादर,
                             जब तेरी यादें सताती हैं मुझे रातों को,
                            सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥
शब्दों से बहुत सुन्दर बयान.बधाई.
 

Comment by Rekha Joshi on May 20, 2012 at 10:42am

फिर से लिखता हूँ तुझे आज मोहब्बत में ख़त,
भूले बिसरे हुए लम्हों की निशानी लेकर॥

baali ji ati sundr bhaav ,badhai 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 19, 2012 at 10:20pm

आज महफिल में दिवानों के यही चर्चा थी,
कौन आया है ये चिलमन में जवानी लेकर॥

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,
हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

हाँ सूरज भाई पुरानी में नशा और छलक पड़ता है ...आते रहिये महफ़िलें आबाद रहें  ...हर दिल में यूं ही आप के लिए प्यार रहे ..भ्रमर  ५ 

रिन्दों समझा दें जनाब 


Comment by D.K.Nagaich 'Roshan' on May 19, 2012 at 9:20pm

जब तेरी यादें सताती हैं मुझे रातों को,
सिसकियाँ लेता हूँ मैं आँखों में पानी लेकर॥

आज महफिल में दिवानों के यही चर्चा थी,
कौन आया है ये चिलमन में जवानी लेकर॥

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,
हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

Waaaahh... Dr. Surya Bali Sooraj saheb... ek se ek umdaa ashaar ... ek behatreen ghazal  kahi hai aapne... bahut bahut dili daad aur mubaarakbaad...

Comment by MAHIMA SHREE on May 19, 2012 at 8:51pm

आदरणीय डॉ साहब ,

क्या बात है .. वाह वाह वाह ..

आप तो जिधर से गुजरते है . 

माहौल बदल देते है ...

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 19, 2012 at 8:31pm

हर तरफ उनके दिवाने है खड़े तोहफे लिए,
हम भी आए हैं मोहब्बत की निशानी लेकर॥

 कौन सा तोहफा कबूल होगा? या हुआ? यह भी तो बताना चाहिए!.......
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 19, 2012 at 6:21pm

 आदरणीय सूरज    जी सादर अभिवादन 

दिन कट जाए है रात न जाए 
तू तो न आये तेरी याद सताए 
सुहानी रात में है क्यूँ आँखों में पानी 
कह दो दिल की बात चली जाये न जवानी 
अगर यूँ ही करते रहोगे इंतजार 
ऐसा न हो बन जाये कई बच्चों की नानी 
दीवानों की महफ़िल में उसे शर्मसार न करो 
है प्यार वो तुम्हारा चुपके से इजहार करो 
यंकी मानो यादों का   समुन्दर बहुत गहरा है 
फूल है वो किसी चमन का गहरा पहरा है 
लिखो  नयी  गजल थाम लो हाथ उसका 
करो इसरार मोहब्बत का पढ़े जो अब वो सेहरा है 
बधाई. मैं भी दाद चाहूँगा. एक पोस्ट पर बाकी है 

बधाई, स्नेह  बनाये  रखिये . 
Comment by Bhawesh Rajpal on May 19, 2012 at 5:00pm

वाह  वाह  !  डॉ. सूर्य बाली  जी ,  इस खूबसूरत  ग़ज़ल  के लिए बधाई  !

कृपया ध्यान दे...

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