For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मानसरोवर से मैं  निकली गंगोत्री  मेरा धाम 
पाप धोएं पापी मुझमे फिर भी मैं निष्काम
प्रयास भगीरथ करके लाये  धरा   निज  धाम 
साठ सहस्त्र पुरखे तारे  कहाँ  मोहे   विश्राम 
चली नगर जब  भर   डगर  बंजर उपजाऊ   हो  गए
छा गयी हरियाली जग में प्यासे मन   हर्षित   हो गये
माँ कहके जन पुकारे मुझको  आरती करे सुबह शाम 
कैसे दुश्मन इस धरा के मैला छोड़  रहे  बेदाम 
आये न लज्जा करें न सज्जा मति  इनकी  मारी   है 
काहे   करते  मैला मुझको  ऐसी भी   क्या  लाचारी  है 
 करोगे गर अब तुम अब भी मैला तेरे उपवन खाऊँगी
जहरीली तो मैं हो चुकी अब न बचूं  मर जाउंगी 
समय अभी  है चेत  जा  मानव काहे  अपमान करे 
माँ हूँ तेरी लाख सताए तू काहे का अभिमान करे 
राजा  बैठा  करे न रक्षा संतन की  अब बारी है 
पूत कपूत भये अब तो लम्पट औ   व्यभिचारी हैं  
आओ सब मिल साफ़ करो मांग रही हूँ भिक्षा 
माँ की ये हालत कर दी क्या मिली थी शिक्षा 

Views: 935

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 19, 2012 at 10:24pm

ईश पुत्री, सस्नेह 

बहुत चिंता है, धन्यवाद सहभागिता हेतु.
Comment by Sarita Sinha on May 19, 2012 at 3:33pm

आदरणीय कुशवाहा जी, सादर प्रणाम,

माँ गंगा के असामयिक गमन की चिंता को दर्शाती हुई बहुत सुन्दर कविता..........बधाई......
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 18, 2012 at 5:55pm
आदरणीय  सूरज   जी, सादर 
धन्यवाद .
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 18, 2012 at 5:54pm
आदरणीय रेखा जी, सादर 
धन्यवाद .
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 18, 2012 at 5:53pm

आदरणीय  बागी   जी, सादर 

आपने   सराहा ,  होंसला बढ़ा. आभार 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 18, 2012 at 5:51pm

आदरणीय भ्रमर जी, सादर 

धन्यवाद, सराहना हेतु. 
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 17, 2012 at 7:15pm

प्रदीप जी गंगा बचाओ अभियान में ये रचना अपना सम्पूर्ण योगदान देगी ऐसी आशा है। इतना मार्मिक और और शशक्त रचना प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत बधाई ! आओ सभी मिल के पतित पावनी गंगा की दारुण पुकार सुने और गंगा को स्वक्छ रखें !! अति सुंदर !

Comment by Rekha Joshi on May 16, 2012 at 5:44pm

आओ सब मिल साफ़ करो मांग रही हूँ भिक्षा 

माँ की ये हालत कर दी क्या मिली थी शिक्षा ati sundr pnktiyaan,badhai

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 15, 2012 at 9:49am

//राजा  बैठा  करे न रक्षा संतन की  अब बारी है 

पूत कपूत भये अब तो लम्पट औ   व्यभिचारी हैं //
आदरणीय प्रदीप सिंह जी, माँ गंगा के प्रति आपकी चिंता इस रचना में स्पष्ट दृष्टिगोचर है, बहुत ही मार्मिक रचना, बहुत बहुत बधाई इस ससक्त अभिव्यक्ति पर |
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2012 at 5:02pm

आदरणीय  राजेश कुमारी   जी, सादर

आपकी सराहना ने मुझे बल दिया 
समय, समर्थन हेतु आभार 
जय गंगा मैया , धन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service