मजदूर दिवस पर विशेष
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मजदूर दिवस बहुत बड़ी ख़ुशी लेकर आया था. आज मजदूरों के सामने मालिकों को झुकना ही पड़ा था. अन्य सुविधायों के अतिरिक्त मजदूरों की रोजाना दिहाड़ी बढ़ा दी गई उन्हें ओवरटाईम तथा बढ़ा हुआ बोनस देने की घोषणा भी कर दी गई. मजदूर बस्ती में हर तरफ ख़ुशी का माहौल था, अपनी मांगें पूरी होने की ख़ुशी में जहाँ मजदूर मंदिरों जाकर भगवान को धन्यवाद दे रहे थे, वहीँ दूसरी तरफ मजदूर यूनियन के कुछ नेता मालिकों के घर दावत उड़ा रहे थे, क्योंकि एक बात मजदूरों से छुपाई गई थी कि अगले छ: महीनों में २० प्रतिशत मजदूरों की छंटनी कर दी जाएगी.
Comment
सादर आभार आदरणीय सौरभ भाई जी.
लघुकथा पसंद करने के लिए सादर आभार राजेश कुमारी जी.
सशक्त लेखनी से निकली एक तीखी रचना। सचमुच आज का यही सत्य है। अंततः मरता मजदूर ही है। बधाई स्वीकारें
सामयिक यथार्थपरक कथा है आपकी! घर के भेदी हर युग में रहे हैं| हार्दिक बधाई आदरणीय अग्रज!
श्रमिक वर्ग के जीवन अंश का सुंदर रेखांकन
सार्थक लघुकथा के लिए बधाई
aadarniya pradhan sampadak ji, saadar abhivaadan.
padha shuru kiya, jiggyasa badhi. aur ant, kya kahna. yahi sacchai hai neta ki aur majdoor ki.
jara si khushi main ham jashn manate hain
mansha apne rahnumaon ki pahchan na pate hain
badhai sir ji. ipl ki mauj lagti hai rachna main.
नेता चाहे देश का हो या संगठन / यूनियन का , बस मौका की तलाश में होता है , जहाँ देखा मौका वाही लगाये चौका, बहुत ही जानदार लघु कथा है आदरणीय प्रधान संपादक जी , बहुत बहुत बधाई |
What a dirty game hiding behind promises.
Regards.
यानि लेदे के ’बेतलवा’ उसी डाल पर ! आपकी लघुकथा सही जगह पर सटीक प्रहार करती है.
बधाई स्वीकार करें आदरणीय.
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