आखिर पुलिस ने उस दुर्दांत आतंकवादी को मार गिराया, उसे मार गिराने वाले पुलिस अफ़सर की बहादुरी की भूरि भूरि प्रशंसा हो रही थी तथा उसके लिए बड़े बड़े सम्मान देने की घोषणाएं भी हो रहीं थी. मीडिया का एक बड़ा दल भी आज उसका साक्षात्कार लेने आ रहा था. इसी सिलसिले में वह बहादुर अफ़सर तैयारियों का जायजा लेने पहुँचा.
"सब तैयारियां हो गईं?" उसने एक अधीनस्थ से पूछा
"जी सर !"
"क्या किसी ने लाश की शिनाख्त की:"
"नहीं सर, चेहरा इतनी बुरी तरह से क्षत विक्षत हो चुका था कि पहचान असंभव थी"
"क्या कोई उसकी लाश लेने पहुँचा था ?"
"जी नहीं सर"
"ओके !, क्या किसी को इस सिलसिले में कुछ कहना या पूछना है?"
तभी एक कांस्टेबल ने धीरे से उस अधिकारी के कानो में कहा:
"उसकी रिक्शा का क्या करें सर?".
Comment
आदरणीय प्रधान संपादक जी,
//"उसकी रिक्शा का क्या करें सर?". //
दिमाग को सन्न कर देने वाली आज के दौर की वास्तविकता पर आधारित इस लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें !
उफ्फ्फ्फ़
गजब
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, निःशब्द हूँ इस लघु कथा को पढ़कर, क्या स्ट्रोक दिया है, अंतिम पक्ति सन्न से तीर की भाति हिट कर रही है , कथ्य, शिल्प, चरित्र चित्रण, प्रस्तुति सब कुछ उम्दा, आप से बहुत कुछ सीखना है, इस लघु कथा हेतु बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें |
इस राजसत्ता के तथाकथित मानवीय चहरे पर जबरदस्त question ???
"Atankwad" ek "Giddh" ki tarah hamare hi desh me baitha hai....Bagi ji tatha Yogiraj ji...dono laghukathaye hamare desh k pulisatv ki kalai kholti hai
Yogiraj ji bahut khoob.
SATEEK V SARTHAK LAGHUKATHA
Wah!
आदरणीय योगराज जी, सादर
वाह योगराज जी सही नब्ज पर हाथ रखा है आपने आज पुलिस की इस कडवी सच्चाई की बखिया उधेड़ दी सच में ये ही तो हो रहा है आजकल |आपकी लघु कथा आज के सिस्टम पर कुठाराघात है |आपको बधाई |
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