For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनिया बहुत मतलबी है
एक दोस्त की तलाश में
कदम-कदम पर खाया है धोखा
गिर-गिर कर संभला हूं
कैसे करूं यकीन अब तुझ पर
अब तो खुद से ही लगता है डर
कही मैं भी तो मतलबी नहीं
सोचता हूं जब एकांत में
समझ आता है कुछ-कुछ
मैं भी हूं मतलबी
क्योंकि मतलबी दुनिया में
मैं कोई खुदा तो नहीं
आखिर हूं इंसान ही
इस दुनिया का एक अंग
फिर कैसे हो सकता हूं जुदा
दुनिया के मतलबी रंग से
बेकार में ही दोष देता हूं
सबसे बड़ा दोषी तो मैं ही हूं
जो ढूंढ़ता हूं दुनिया में
अपने मतलब का दोस्त
क्योंकि मैं मतलबी हूं

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on March 23, 2012 at 2:45pm
मैं भी हूं मतलबी
क्योंकि मतलबी दुनिया में
मैं कोई खुदा तो नहीं
आखिर हूं इंसान ही....
नमस्कार हरीश जी...
सत्य कहा आपने.....मन में विचरते भावों का अच्छा चित्रण.... हम सभी इन चीजो से कभी न कभी गुजरते है...बधाई आपको...
Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 1:32pm

ऐसी मतलब परस्ती को सलाम

इस तरह हर आदमी को मतलबी होना चाहिए
मानवता में नया निखार आ जायेगा

बधाई
सादर

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 23, 2012 at 11:45am

आदरणीय हरीश जी,

मतलब को केन्द्र बना कर सामाजिक परिवेश में व्याप्त दुरूह स्थितियों का सटीक वर्णन किया आपने| हार्दिक बधाई!

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 10:06am

कही मैं भी तो मतलबी नहीं
सोचता हूं जब एकांत में

हरीश सर गहन दर्शन के भाव समाविष्ट करती रचना पर बधाई स्वीकार करें

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 5:25pm

vastvikta darshati rachna. badhai swikar karen mahoday ji, sadar

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service