For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

-:प्रेम के कुछ मुक्तक:-

"कम से कम दो कदम प्रेम पथ पर चलें"


1-बात होती रहे हम कहें न कहें,
   प्रेम के अश्रुमोती बहें न बहें.
   डोर टूटे न ये तोड़ने से कभी, 
   प्यार निभता रहे हम रहें न रहें..
.
.
2-स्वप्न टूटा तो फिर हम बिखर जायेंगे, 
   साथ छूटा तो फिर हम  किधर  जायेंगे .
   खुश हूँ उसकी ख़ुशी से कि खुश वो रहे
   दुःख जो उसको मिला हम सिहर जायेंगे ..
.
.
3-हो चमन में कोई पुष्प खिलता हुआ ,
   हर किसी का तुम्हे प्रेम मिलता हुआ. 
   प्रीति अभिसार  करती  रहेगी  सदा ,
   होंठ पर प्रेम का  गीत  सजता  हुआ ..
.
.
4-प्रेम में डूबे दिल अब कहाँ के रहे, 
   ख्वाब जितने हंसी शाहजहाँ के रहे .
   प्रेम बलिदान की कोई कीमत नहीं, 
   न तो खुद के रहे  न जहाँ  के  रहे ..
.
.
5-वो किसी से मिले मन ही मन हम जलें, 
   साथ  उनके  रहें  क्यों  ये  सपने  पलें. 
   ऐसे उदगार दिल  में  करूँ  क्या  सनम, 
   कम से कम दो कदम प्रेम पथ पर चलें ..
.
.
6-प्रेम शुचिता में मेरा खरा है सनम,
   मैं हूँ तेरा गगन तू धरा है सनम. 
   ये नयन दो तुम्हारे सितम ढा गए,
   प्रेम का घट अभी तक भरा है सनम ..
 

Views: 3878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 1:17am

लाजवाब बहुत खूब. बधाई.

Comment by आशीष यादव on April 5, 2012 at 11:05pm
अहा! क्या खूब कहा है। बड़े ही शानदार मुक्तक बने हैँ।
बधाई
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 9:58pm

आदरणीय आनंद परवीन जी सराहना के लिए बहुत बहुत आभार 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 9:57pm

आदरणीय  गणेश सर स्नेहाशीष   के लिए बहुत बहुत आभार 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 3, 2012 at 9:47pm

सभी मुक्तक अच्छे बन पड़े है भाई, किसी एक चुनना आसान नहीं, बहुत ही सुन्दर भाव पिरोये है आपने, बधाई स्वीकार करें |

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 3:37pm

राकेश जी सराहना  के लिए बहुत बहुत आभाऱ

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 3:35pm

वाहिद जी रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत आभार 

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 3, 2012 at 3:06pm

मृदु जी, बहुत सुंदर पंक्तियाँ, "दुःख जो उसको मिला हम सिहर जायेंगे" बहुत खूब. बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 3, 2012 at 12:51pm

स्वप्न टूटा तो फिर हम बिखर जायेंगे, 

   साथ छूटा तो फिर हम  किधर  जायेंगे .
   खुश हूँ उसकी ख़ुशी से कि खुश वो रहे

   दुःख जो उसको मिला हम सिहर जायेंगे .

'मृदु' जी आपके लिए केवल एक शब्द है लाजवाब

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 3, 2012 at 11:33am

प्रदीप सर रचना पसंद करने के लिए व अपना आशिर्वाद  प्रदान करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार , नमन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
23 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service