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चाहत है मन में एक ही दुनिया सयानी हो
अब रक्त डूबी इस में न कोई कहानी हो।।
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होता अगर हो प्यार का आबाद हर नगर
हर बात उसकी हम को भी यूँ आसमानी हो।।
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भटको न आस पास के रंगीं नजारे देख
पथ में रखो निगाह जो ठोकर न खानी हो।।
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हमने उन्हें खुदा का जो दर्जा दिया है फिर
कोई सजा अगर हो तो उन की जुबानी हो।।
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किस्मत बड़ी है मान ले दामन में गर गिरे
मोती सा आबदार जो आँखों का पानी हो
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दिल है जवाँ जो आप का ये भी जरूरी है
हसरत किसी को पाने की लायी रवानी हो
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उज्ज्वल निगाह डाल के कर दो खुशी बड़ी
मुख पर किसी के आप से जब शादमानी हो
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लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
मौलिक/अप्रकाशित
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